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NDWBF 2024: राजपाल एंड संस के स्टॉल पर ‘परसाई का मन’ का लोकार्पण

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Source :- NEWS18

पुस्तक मेला के पहले दिन आज राजपाल एंड संस के स्टॉल पर लोगों की खासी भीड़ देखने को मिली. इस अवसर पर कई नामचीन लेखक भी पाठकों से रूबरू हुए और कई पुस्तकों का लोकार्पण किया गया. कार्यक्रम मशहूर व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई के साक्षात्कारों का संकलन ‘परसाई का मन’ का लोकार्पण किया गया. इस पुस्तक का संकलन और संपदान प्रसिद्ध कवि और कथाकार विष्णु नागर ने किया है.

लोकार्पण समारोह में विख्यात आलोचक पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कहा कि हरिशंकर परसाई का लेखन हमारे समय और समाज के लिए आज भी सर्वथा प्रासंगिक बना हुआ है. नियमित लिखने और दैनिंदिन दबावों के बावजूद उनके लेखन में प्राय: दुहराव नहीं मिलता. ‘परसाई का मन’ पुस्तक उनके लेखन और विचार को गहराई से समझने में महत्त्वपूर्ण सिद्ध होगी. पुस्तक का लोकार्पण करते हुए पुरुषोत्तम अग्रवाल ने अपने विद्यार्थी जीवन के संस्मरण भी सुनाए जब परसाई जी उनके कॉलेज में आए थे.

पुस्तक के संपादक विष्णु नागर ने पुस्तक के बनने की प्रक्रिया का उल्लेख किया तथा परसाई के जीवन के अनेक प्रसंगों का अपने वक्तव्य में जिक्र किया. विष्णु नागर ने बताया कि हरिशंकर परसाई से लिए गए साक्षात्कारों की यह पहली किताब है जिसका प्रकाशन उनके शताब्दी वर्ष में होना और भी सुखद है. इससे पहले प्रकाशक मीरा जौहरी ने राजपाल एंड संस की सवा सौ साल की पुस्तक यात्रा के बारे में बताते हुए कहा कि विष्णु नागर जैसे महत्त्वपूर्ण लेखक की कृति को प्रकाशित करना उनके लिए सम्मान की बात है.

उन्होंने कहा कि प्रेमचंद के बाद पिछले पचास वर्षों में कोई लेखक इतना अधिक पढ़ा गया है तो संभवतः वह अकेले परसाई हैं. पठनीयता, सहजता और जन से गहरे लगाव के मामले में यही एक नाम सहज रूप से याद आता है. यह आम राय-सी है कि आजादी के बाद के बदलते भारत में आए बदलावों के बहुविध पक्षों को अगर कहीं एक जगह, एक गद्य लेखक में देखना हो तो वह अकेले हरिशंकर परसाई हैं.

विष्णु नागर ने कहा कि हरिशंकर परसाई के लेखन से मेरा पहला परिचय उनकी किसी पुस्तक के माध्यम से नहीं हुआ. तब के किसी शिक्षक ने भी उनके लेखन पर कुछ नहीं कहा-बताया. उनके लेखन को पढ़ने की सिफारिश किसी ने नहीं की. परसाई जी के लेखन की पहुंच, तब तक शायद पाठ्य पुस्तकों तक नहीं थी. उनके साहित्यिक कद के बारे में तब कोई जानकारी मुझे नहीं थी. कहा जा सकता है कि हम जैसे हजारों पाठकों ने उन्हें लोकप्रिय पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से पहले पहल खोजा. साहित्यिकों ने शायद उनका मूल्य बाद में जाना.

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चर्चा में युवा आलोचक पल्लव ने कहा कि हरिशंकर परसाई को स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा गद्य लेखक कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी. उन्होंने कहा कि परसाई की रचना प्रक्रिया को समझने और उनके लेखन को विश्लेषित करने में यह पुस्तक बहुत मददगार होगी. लोकार्पण व परिचर्चा में चर्चित कथाकार महेश दर्पण, लीलाधर मंडलोई, डॉ. ओम निश्चल सहित अनेक लेखक उपस्थित रहे. राजपाल एंड संस के सुभाष चंद्र ने आभार व्यक्त किया.

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