Source :- BBC INDIA
ये बात साल 2013 की है. आठ साल के एक लड़के ने मुंबई के प्रसिद्ध कांगा लीग क्रिकेट टूर्नामेंट में डेब्यू किया. एक घंटे की बल्लेबाज़ी में उस बच्चे ने 42 गेंदों का सामना किया था.
मुशीर ख़ान उस दिन कांगा क्रिकेट लीग में खेलने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने.
दस साल बाद वही मुशीर आज अंडर-19 वर्ल्ड कप टीम में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. टीम को फ़ाइनल तक पहुंचाने में बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज़ ऑलराउंडर का अहम योगदान रहा है.
मुशीर ने अंडर-19 वर्ल्ड कप में 67.60 की औसत से 338 रन बनाए हैं और सेमीफ़ाइनल तक टूर्नामेंट के छह मैचों के दौरान छह विकेट भी लिए हैं.
वह अपनी टीम के गेंदबाजों में जोश भरते और कप्तान उदय सहारन के साथ फील्डिंग रणनीति बनाते भी नजर आते हैं. विपक्षी टीमों के साथ वे माइंड गेम खेलते भी नज़र आए हैं.
मुशीर की बल्लेबाज़ी की ख़ासियत ये है कि वे रन बनाने के साथ-साथ स्वीप और स्कूप शॉट भी लगा सकते हैं. मुशीर शॉर्ट बॉल का सामना करने के साथ-साथ बैकफुट पर खेलने की सलाहियत भी रखते हैं.
मुशीर के भाई सरफ़राज ने भी मुंबई की रणजी टीम के लिए खेला और अब भारतीय टीम की प्लेइंग इलेवन में खेलने का इंतज़ार कर रहे हैं.
2014 में दुबई में आयोजित अंडर-19 वर्ल्ड कप के दौरान मुशीर केवल नौ साल का थे, उन्होंने पवेलियन में बैठकर अपने भाई को खेलते देखा था अब खुद उस टूर्नामेंट का फ़ाइनल खेलेंगे.
हालांकि, मुशीर का यहां तक का सफ़र आसान नहीं रहा.
पिता का सपना
मुशीर ख़ान को पहली बार 2009 में उनके भाई सरफ़राज के साथ देखा गया था.
सरफ़राज ने उस साल हैरिस शील्ड टूर्नामेंट में मुंबई स्कूल क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर के 439 रन के 45 साल पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया.
जब हम सरफ़राज का इंटरव्यू लेने मैदान में गए तो वहां ढाई-तीन साल का एक छोटा लड़का मौजूद था.
नेट्स के बाहर मैदान में बॉलिंग की प्रैक्टिस कर रहे मुशीर को बॉल पकड़ने के लिए तेजी से दौड़ते देख सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गई.
उसने गेंदबाज़ी करते हुए हमारी ओर देखकर कहा, “मुझसे सवाल पूछो, मेरी तस्वीरें भी ले लो. मैं भी क्रिकेट खेलने जा रहा हूं.”
छोट सी उम्र में भी उनका आत्मविश्वास देखते ही बनता था.
मुशीर और सरफ़राज के भाई मोईन ख़ान भी क्रिकेट की प्रैक्टिस करते थे. तीनों के पिता नौशाद खान ही उनके कोच हैं.
नौशाद उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ से हैं. उनका सपना क्रिकेटर बनने का था, लेकिन जब वह सपना पूरा नहीं हुआ तो उन्होंने कोचिंग की ओर रुख किया.
नौशाद अपने गांव से कई बच्चों को मुंबई लाए और उन्हें क्रिकेट सिखाया. उनकी पत्नी और मुशीर की मां तबस्सुम बच्चों के लिए खाने-पीने का इंतजाम कर रही थीं.
नौशाद ने अपने बच्चों के साथ-साथ इकबाल अब्दुल्ला, कामरान ख़ान जैसे खिलाड़ियों को भी सलाह दी.
पूरा परिवार कुर्ला की टैक्सीमैन कॉलोनी में रहता है. इसके एक तरफ मीठी नदी बहती है, दूसरी तरफ बीकेसी इलाके की चमचमाती इमारतें हैं और दूसरी तरफ एलबीएस मुंबई की मुख्य व्यस्त सड़क है.
यह क्षेत्र हमेशा यातायात के शोर से भरा रहता है और नदी में बाढ़ आने का ख़तरा रहता है. बाहरी लोगों को यकीन ही नहीं होगा कि यहां भी कोई शांति से क्रिकेट की प्रैक्टिस कर रहा है.
लेकिन नौशाद के बच्चे यहीं खेलते थे. उन्होंने अपने भवन के परिसर में एक टर्फ़ विकेट का भी निर्माण किया है.
जब मुशीर और सरफ़राज मुंबई के मैदान पर नहीं खेल रहे थे तो दोनों इसी विकेट पर प्रैक्टिस करते हैं. छोटी गेंदें खेलने की आदत डालने के लिए गीली टेनिस गेंद का उपयोग किया जाता था.
दरअसल मुशीर पहले गेंदबाजी करते थे. लेकिन सरफ़राज के साथ अपने अनुभव के बाद नौशाद ने फ़ैसला किया कि खेल के सिर्फ़ एक पहलू पर ध्यान केंद्रित करने से काम नहीं चलेगा, इसलिए, उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि मुशीर बल्लेबाजी में भी महारत हासिल कर लें.
मुशीर ने अंडर-19 विश्व कप या मुंबई के रणजी क्रिकेट तक पहुंचने से पहले 12 साल मुंबई की पिचों पर खेलते हुए बिताए हैं.
कांगा लीग में उनका डेब्यू ऐतिहासिक था. इसका जिक्र हो चुका है, लेकिन कांगा लीग मैच में खेलने से कुछ हफ्ते पहले भी मुशीर सुर्खियों में थे. उन्होंने एक फ्रेंडली मैच में युवराज सिंह का विकेट लिया था.
युवराज सिंह भले ही अपने सामने एक छोटे लड़के के साथ थोड़ी सहजता से खेल रहे थे, लेकिन मुशीर की गेंद ने सभी का ध्यान खींचा.
2019 में मुंबई की अंडर-16 टीम का नेतृत्व करते समय, मुशीर एक साथी के साथ बहस के चलते विवाद में फंस गए थे.
कूच बिहार ट्रॉफी के 2021-22 सीज़न में, मुशीर ने मुंबई को फ़ाइनल तक पहुंचाया. मुशीर ने उस टूर्नामेंट में 632 रन बनाए और 32 विकेट लिए और मैन ऑफ़ द सीरीज़ का पुरस्कार भी जीता. इसके बाद मुशीर के लिए मुंबई रणजी टीम के दरवाज़े खुल गए.
उन्होंने भारत की अंडर-19 टीम में भी अच्छा प्रदर्शन किया है.
भारतीय क्रिकेट में भाइयों की कई जोड़ियां रणजी ट्रॉफी में एक साथ खेल चुकी हैं और दोनों भाइयों का नाम कई बार एक साथ भी लिया गया है.
माधव और अरविंद आप्टे, मोहिंदर और सुरिंदर अमरनाथ, इरफ़ान और यूसुफ़ पठान, हार्दिक और क्रुणाल पंड्या भारत के लिए खेल चुके हैं.
अब सरफ़राज और मुशीर ऐसा ही सपने देख रहे हैं. सरफ़राज भारतीय टीम में प्रवेश कर चुके हैं और उन्हें इंतज़ार है अपने डेब्यू का.
SOURCE : BBC NEWS