Source :- BBC INDIA
इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा है कि ग़ज़ा में सीज़फ़ायर का नया प्रस्ताव इसराइल की बुनियादी मांग से कोसों दूर है लेकिन बातचीत जारी रहेगी.
उनका बयान ऐसे समय आया है जब हमास ने कहा है कि उसने क़तर और मिस्र के मध्यस्थों की ओर से संघर्ष विराम के लिए रखी गई शर्तों को स्वीकार कर लिया है.
हमास के अधिकारी ने कहा है कि- ‘गेंद अब इसराइल के पाले में है.’
इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा है कि हमास ने समझौते का जो प्रस्ताव माना है वह “इसराइल की बुनियादी मांग से कोसों दूर” है लेकिन वह बातचीत जारी रखेंगे.
इस बीच इसराइली मीडिया में आई रिपोर्टों के अनुसार इसराइली बलों और टैंकों को दक्षिणी ग़ज़ा में रफ़ाह बॉर्डर क्रॉसिंग के पास देखा गया है.
इससे पहले इसराइल ने रफ़ाह में हमले शुरू कर दिए हैं. इसराइल ने शरणार्थियों को पहले ही कैंप खाली करने के लिए कहा था. इसराइली डिफेंस फ़ोर्स यानी आईडीएफ़ ने कहा है कि वह हमास के खिलाफ़ रफ़ाह में ‘टार्गेटेड हमले’ कर रहा है.
माना जा रहा है कि इसराइली कार्रवाई की वजह से रफ़ाह में रहने वाले लाखों लोग प्रभावित हुए हैं और कइयों को गधों पर सवार होकर इलाका ख़ाली करते देखा गया है.
इसराइल ने ख़ान यूनिस के पास के एक कैंप से एक लाख लोगों को निकलने का आदेश दिया है.
हमास के एक अधिकारी ने रफ़ाह के पूर्वी हिस्सों को खाली करने के आदेश को युद्ध में “खतरनाक मोड़” बताया है.
सीज़फ़ायर की डील का आधार हफ़्तों लंबा संघर्ष विराम और हमास ने जिन दर्जनों इसराइलियों को बंधक बनाया है उन्हें छोड़ना था.
हमास ने क्या कहा
सोमवार की शाम को हमास ने एक बयान जारी कर कहा कि उसके राजनीतिक नेता इस्माइल हानिया ने क़तर के प्रधानमंत्री और मिस्र के ख़ुफ़िया प्रमुख को सीज़फ़ायर समझौते के प्रस्ताव पर अपनी सहमति देने को लेकर सूचित किया है.
इस प्रस्ताव के बारे में जानने वाले एक वरिष्ठ फ़लस्तीनी अधिकारी ने बीबीसी से कहा हमास ने सहमति दी है कि अगर उसकी शर्तें पूरी होती हैं तो ‘शत्रुतापूर्ण गतिविधि हमेशा के लिए’ समाप्त होगी.
इस बयान से ये संकेत मिले हैं कि हमास शायद अपने सशस्त्र संघर्ष को ख़त्म करने पर विचार कर रहा है हालांकि इस बारे में और अधिक जानकारी सामने नहीं आई है. ये सब दो चरणों के सीज़फ़ायर समझौते से ही साफ़ हो पाएगा जिसके तहत हर चरण 42 दिनों का होगा.
पहले चरण में उन महिला इसराइली सैनिकों को रिहा किया जाएगा जो बंधक बनाई गई हैं. इसके तहत इसराइली जेलों में बंद 50 फ़लस्तीनी क़ैदियों को रिहा किया जाएगा जिनमें कुछ को आजीवन कारावास मिला हुआ है.
इस दौरान इसराइली सुरक्षाबल ग़ज़ा के अंदर ही मौजूद रहेंगे. लेकिन सीज़फ़ायर के 11 दिनों के अंदर इसराइल अपनी सैन्य सुविधाओं को क्षेत्र के केंद्र से हटाना शुरू करेगा और सलाह अल-दीन रोड से पीछे हटना होगा. ये उत्तर-दक्षिण का रूट और तटीय सड़क है.
11 दिनों के बाद विस्थापित फ़लस्तीनियों को उत्तर में लौटने की इजाज़त होगी.
एक अधिकारी के अनुसार, सीज़फ़ायर का दूसरा चरण “लंबे समय तक शांति बने रहने” और ग़ज़ा में पाबंदी पूरी तरह से हटाने के साथ पूरा होगा.
हमास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया, “गेंद अब इसराइल के पाले में है कि वह सीज़फ़ायर समझौते पर सहमत होता है या फिर इसमें बाधा बनता है.”
इसराइल का बयान
हमास के बयान की ख़बर फैलते ही ग़ज़ा के लोगों में जश्न का माहौल देखा गया.
लेकिन नाम न बताने वाले एक इसराइली अधिकारी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि हमास ने जो प्रस्ताव स्वीकार किया है वह मिस्र के प्रस्ताव का ‘सॉफ़्ट वर्ज़न’ है, जिसमें ऐसे लक्ष्य हैं जिन्हें हासिल करना लगभग असंभव है और इसराइल जिन्हें स्वीकार नहीं करेगा.
अधिकारी ने कहा, “ये ऐसा जाल प्रतीत होता है जिसका मक़सद इसराइल को ऐसे पेश करना है, जैसे वह समझौते से इनकार कर रहा हो.”
बाद में इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने बयान जारी किया, “भले ही हमास का प्रस्ताव इसराइल की बुनियादी ज़रूरतों से कोसों दूर है, फिर भी इसराइल मध्यस्थों का एक प्रतिनिधिमंडल भेजेगा ताकि ऐसी शर्तों पर समझौते को लेकर सहमति बने, जो इसराइल के लिए स्वीकार्य हो.”
बयान में कहा गया है, “इसके साथ ही इसराइल की वॉर कैबिनेट ने रफ़ाह में अपने अभियान को जारी रखने का फ़ैसला किया है ताकि हमास पर बंधकों की रिहाई, हमास की सेना को ख़त्म करने के लिए दबाव बनाया जा सके. इसराइल ये भी भरोसा चाहता है कि भविष्य में ग़ज़ा इसराइल के लिए ख़तरा नहीं बनेगा.”
ये बयान ऐसे समय आया है जब इसराइली सेना ने एलान किया है कि वह पूर्वी रफ़ाह में हमास के ठिकानों को निशाना बनाएगी.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने मीडिया से कहा कि क़तर और मिस्र के साथ मिलकर एक समझौते पर सहमति बनवाने की कोशिश में अमेरिका जुटा है. वह हमास के जवाब की समीक्षा कर रहा है और इसे “सहयोगियों के साथ चर्चा” कर रहा है.
उन्होंने कहा, “हम अब भी ये मानते हैं कि बंधकों की रिहाई से जुड़ी डील इसराइली लोगों के हित में हैं. ये फ़लस्तीनियों के लिए भी सबसे अच्छा सौदा है.”
“इससे तुरंत सीज़फ़ायर होगा. इससे मानवीय सहायता पहुंचाने में भी मदद होगी और इसलिए हम सभी पक्षों से इस मामले में बात करने की कोशिश करेंगे.”
इस जंग की शुरुआत बीते साल सात अक्टूबर को हुई जब हमास के लड़ाकों ने दक्षिणी इसराइल में हमला किया. इस हमले में कम से कम 1200 लोग मारे गए और 250 लोगों को बंधक बनाकर ले जाया गया.
हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इसके बदले में ग़ज़ा में शुरू हुई इसराइली सैन्य कार्रवाई में अभी तक 34 हज़ार 700 से अधिक फ़लस्तीनियों की मौत हुई है.
बीते साल नवंबर में हुए एक समझौते के तहत हमास ने 105 बंधकों को रिहा किया था. उस समय एक सप्ताह तक संघर्ष विराम रहा था और इसराइली जेलों में बंद करीब 240 फ़लस्तीनी क़ैदियों को भी छोड़ दिया गया था.
इसराइल का कहना है कि अभी भी ग़ज़ा में 128 बंधकों का अता-पता नहीं है. माना जा रहा है कि इनमें से 34 बंधकों की मौत हो चुकी है.
SOURCE : BBC NEWS