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हेमंत लालवानी/पाली- गर्मियों में राजस्थान के पाली शहर में केर-सांगरी की डिमांड अचानक बढ़ जाती है. यह सब्जी न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि इसके स्वास्थ्य लाभ भी कई गुना हैं. आइए विस्तार से जानते हैं इस छोटी सब्जी के बारे में.
केर-सांगरी की विशेषताएं
केर-सांगरी एक पारंपरिक राजस्थानी सब्जी है, जो प्राकृतिक रूप से जंगलों में उगती है. इसे उगाने में किसी विशेष मेहनत की आवश्यकता नहीं होती, और यह कई बीमारियों का इलाज करने में सक्षम मानी जाती है. पाली में इसका बाजार भी काफी गर्मियों में बढ़ जाता है, क्योंकि लोग इसे घर में ही खाकर या फिर आचार बनाकर विदेशों में अपने रिश्तेदारों को भेजते हैं.
हर बीमारी का इलाज
वरिष्ठ फिजिशियन आलोक गुप्ता के अनुसार, केर-सांगरी में विटामिन A, कैल्शियम, आयरन, और कार्बोहाइड्रेट भरपूर मात्रा में होते हैं, जो खून की कमी और हड्डियों के दर्द जैसी समस्याओं में मदद करते हैं. इसके सूखने पर यह और भी फायदेमंद हो जाती है और इसकी कीमत 5 गुना बढ़ जाती है. हरी केर-सांगरी 180-200 रुपये प्रति किलो बिकती है, जबकि सूखी केर-सांगरी की कीमत 1500-1800 रुपये प्रति किलो होती है.
राजस्थान का प्राकृतिक खजाना
भारत में केर का पेड़ मुख्य रूप से राजस्थान में पाया जाता है. यह पेड़ सूखी जगहों पर उगता है और इसके फल को विभिन्न प्रकार से इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि सब्जी बनाने में या अचार बनाने में. इसे “डेजर्ट बीन” भी कहा जाता है, क्योंकि यह मुख्य रूप से रेगिस्तानी इलाकों में पाया जाता है.
गर्मियों में केर-सांगरी के फायदे
गर्मियों में केर-सांगरी का सेवन शरीर को ठंडा रखने में सहायक होता है. इसे चूर्ण बनाकर पानी के साथ लिया जा सकता है, जो गर्मी के कारण होने वाले सिरदर्द और लू से बचाने में मदद करता है. यह हड्डियों, दिल और शरीर के अन्य अंगों के लिए भी बेहद फायदेमंद है.
डायबिटीज और पेट की समस्याओं में राहत
लोकल 18 से बातचीत के दौरान केर बेचने वाले उपेंद्र कुमार ने बताया कि केर डायबिटीज, बदहजमी, एसिडिटी और बुखार जैसी समस्याओं में प्रभावी है. इसे चूर्ण के रूप में लिया जाता है, जो सुबह खाली पेट खाया जाता है, तो डायबिटीज को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है. केर के डंठल का चूर्ण कफ और खांसी में भी राहत देता है.
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