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भारत चाहता था कि वक्तव्य में भारत सरकार भी उल्लेख हो, लेकिन पाकिस्तान ने यूएन के अधिकारियों के सामने सभी हथकंडे अपना कर भारत के अनुरोध को खारिज करवाने में सफलता हासिल की।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को लेकर दुनिया के कई देशों से प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। तमाम देशों ने आतंकवादी हमले की निंदा की है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी इसकी कड़े शब्दों में निंदा की है। यूएन ने इस बात पर जोर दिया कि इसके लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि आतंकवाद के निंदनीय कृत्य को सह देने वालों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। यूएन के द्वारा जब इसके खिलाफ बयान जारी किया जा रहा था तब पाकिस्तान ने कश्मीर को विवाद क्षेत्र के तौर पर शामिल कराने की कोशिश की, लेकिन भारत ने इसका पुरजोर तरीके से विरोध किया।
पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के साथ विवादित शब्द शामिल कराना चाहता था लेकिन अमेरिका और फ्रांस की मदद से भारत ने पाकिस्तान के इस मंसूबे पर पानी फेर दिया। आपको बता दें कि फ्रांस अप्रैल महीने के लिए परिषद का अध्यक्ष है और प्रेस वक्तव्य परिषद के अध्यक्ष जेरोम बोनाफोंट द्वारा जारी किया गया जो कि संयुक्त राष्ट्र में फ्रांस के स्थायी प्रतिनिधि हैं। उन्होंने 2007 से 2011 तक भारत में फ्रांसीसी राजदूत के रूप में कार्य किया था। पाकिस्तान वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक गैर-स्थायी सदस्य के रूप में शामिल होता है।
समाचार एजेंसी पीटीआई ने कहा, ”भारत ने कहा कि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ द्वारा आतंकवादी संगठनों का समर्थन और वित्तपोषण करने के अपने देश के इतिहास को स्वीकार करने से पाकिस्तान एक दुष्ट राज्य के रूप में उजागर होता है। वह दुनिया में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और क्षेत्र को अस्थिर कर रहा है।”
आपको बता दें कि भारत चाहता था कि वक्तव्य में भारत सरकार भी उल्लेख हो, लेकिन पाकिस्तान ने यूएन के अधिकारियों के सामने सभी हथकंडे अपना कर भारत के अनुरोध को खारिज करवाने में सफलता हासिल की। उसने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने निष्पक्ष जांच का आह्वान किया है। इस दौरान उसे चीन से समर्थन मिला।
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