Source :- NEWS18
कोडरमा. नव वर्ष के स्वागत को लेकर यदि आप अपने पूरे परिवार के साथ इसे यादगार बनाने के लिए शहर से नजदीक में कोई धार्मिक एवं पर्यटन स्थल की तलाश कर रहे हैं तो शहर से महज 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित झरनाकुंड धाम में आप नव वर्ष के नए दिन की शुरुआत कर इसे यादगार बना सकते हैं. प्राकृतिक रूप से पेड़ पौधों से घिरे इस स्थान पर उत्तराखंड के केदारनाथ में स्थापित शिवलिंग की प्रारूप यहां स्थापित है. झरनाकुंड धाम में स्थित आपरूपी शिवलिंग की वर्षों से पूजा की जा रही है. यह लोगों के अटूट आस्था का केंद्र है.
झरनाकुंड धाम पर लोगों की अटूट आस्था
झरनाकुंड धाम के मुख्य पुजारी लाल बाबा ने Local 18 से विशेष बातचीत में बताया कि कोडरमा के अलावे झारखंड और बिहार के कई जिलों के लोगों की झरनाकुंड धाम पर अटूट आस्था है. शहर से करीब 4 किलोमीटर दूर घने जंगल में धाम होने के बावजूद लोगों का लगातार यहां आना-जाना लगा रहता है. नए साल की शुरुआत में काफी संख्या में लोग अपने परिवार के साथ यहां पहुंचते हैं और पूजा पाठ के साथ पिकनिक का आनंद उठाते हैं. नव वर्ष के मौके पर यहां पूजा पाठ करने से पूरे साल भर बाबा भोलेनाथ की कृपा भक्त पर बनी रहती है और पूरा साल मंगलमय बीतता है.
उत्तर वाहिनी नदी के किनारे मिला था शिवलिंग
लाल बाबा ने बताया कि करीब 100 वर्ष पहले लोग झरनाकुंड जंगल में मवेशी चराने जाते थे. इस दौरान लोग जंगलों में जलावन के लिए लकड़ी भी काटते थे. इसी बीच एक दिन एक चरवाहा जंगल में उत्तर वाहिनी नदी के किनारे एक पत्थर पर अपनी कुल्हाड़ी की धार तेज कर रहा था. इस दौरान पत्थर पर कुल्हाड़ी लगने से रक्त की बूंद निकलने लगा. जिसके बाद यह बात पुरे इलाके में फैल गई और लोग चमत्कारी पत्थर को आपरूपी शिवलिंग मानकर पूजा करने लगे. तब से यहां पूजा अर्चना जारी है.
कई अन्य देवी-देवताओं की भी होती है पूजा
लाल बाबा ने बताया कि झरना कुंड धाम के मुख्य द्वार से उत्तर वाहिनी नदी बहती है. पहले नदी की चौड़ाई अधिक थी. वर्षो पहले शिवलिंग नदी किनारे मिला था वह आज भी वहीं स्थापित है. धाम में दक्षिणेश्वर काली माता के रूप में प्रतिमा, शिव परिवार और राम दरबार के सभी देवी देवताओं की प्रतिमा लगाई गई है.
FIRST PUBLISHED : December 23, 2024, 10:10 IST
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