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उत्तराखंड: नैनीताल में हिंसा के बीच वायरल हो रही युवती के वीडियो से जुड़ा पूरा मामला क्या है?

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Source :- BBC INDIA

शैला नेगी

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उत्तराखंड के नैनीताल में एक नाबालिग से कथित दुष्कर्म के बाद भड़की हिंसा के बीच एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है.

वीडियो में एक युवती भीड़ के सामने खड़ी होकर पूछती है, “अगर एक व्यक्ति ने अपराध किया है, तो पूरे समुदाय को सज़ा क्यों दी जा रही है?”

युवती की पहचान शैला नेगी के रूप में हुई है, जो मल्लीताल क्षेत्र के व्यापार मंडल अध्यक्ष की बेटी हैं.

यह वीडियो उस वक्त रिकॉर्ड हुआ जब भीड़ दुकानों को बंद कराने के लिए पहुंची थी और शैला ने उसका विरोध किया था.

क्या है पूरा मामला

नैनीताल

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30 अप्रैल की रात करीब आठ बजे एक नाबालिग लड़की अपनी मां और एक वकील के साथ मल्लीताल कोतवाली पहुंचीं.

शिकायत में आरोप लगाया गया कि 12 अप्रैल को उस्मान नाम के एक ठेकेदार ने उसे पैसों का लालच देकर अपने घर के गैराज में खड़ी गाड़ी में दुष्कर्म किया.

पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ़्तार कर हल्द्वानी जेल भेज दिया. उस्मान के ख़िलाफ़ दुष्कर्म और आपराधिक धमकी की धाराएं 65(1), 351(2) और पॉक्सो एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया है.

एसपी जगदीश चंद्र ने बीबीसी को बताया, “पीड़िता की ओर से पुलिस को दी गई तहरीर में बताया गया है कि अभियुक्त ने पैसों का लालच देकर घर के गैराज में खड़ी गाड़ी में दुष्कर्म किया. पीड़िता का मेडिकल डॉक्टरों के पैनल ने किया है.”

लड़की की मेडिकल रिपोर्ट फ़िलहाल जारी नहीं की गई है.

30 अप्रैल को जैसे ही ये ख़बर सामने आई, मल्लीताल थाने के बाहर भीड़ जुटनी शुरू हो गई. कुछ ही देर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया. आरोप है कि एक मई की रात को गाड़ी पड़ाव क्षेत्र में मुस्लिम दुकानों पर तोड़फोड़ और मारपीट की गई.

पुलिस के अनुसार इस भीड़ में कुछ हिंदूवादी संगठन भी शामिल थे.

नैनीताल की घटना

पुलिस ने हिंसा के तुरंत बाद अतिरिक्त बल तैनात किया. एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा ने कहा, “अभियुक्त को गिरफ्तार किया जा चुका है. जो लोग हिंसा में शामिल पाए जाएंगे, चाहे उन्होंने दुकानों में तोड़फोड़ की हो या सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ा हो, सख़्त कार्रवाई की जाएगी.”

पुलिस उपद्रव करने वालों की पहचान सीसीटीवी फुटेज के आधार पर कर रही है.

पुलिस ने बताया कि शहर में सभी होटल और रेस्टोरेंट खुले हैं. शनिवार और रविवार के वीकेंड को देखते हुए पर्यटकों के आगमन की उम्मीद है. यात्रियों से अपील की गई है कि वो बेफ़िक्र होकर नैनीताल आएं.

भीड़ के सामने अकेली खड़ी शैला नेगी

उत्तराखंड नैनीताल

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इस बीच हिंसा के दौरान का ही एक वीडियो वायरल हो रहा है. जो स्थानीय महिला शैला नेगी का है.

शैला ने बताया कि वो अपने पिता के साथ दुकान में काम करती हैं.

उन्होंने बीबीसी हिंदी को बताया, “घटना के दूसरे दिन जब भीड़ सभी की दुकानें बंद करने की बात कह रही थी तो हमने अपनी दुकान बंद नहीं की.”

शैला ने कहा, “उस वक्त भीड़ में कुछ अनजाने चेहरे भी थे और कुछ लोग गालियां देते हुए सांप्रदायिक नारेबाजी कर रहे थे.”

उन्होंने कहा, “भीड़ में शामिल एक महिला ने मेरे पिता से बदतमीज़ी से पूछा कि तू हिंदुस्तानी है या पाकिस्तानी! “

शैला के मुताबिक, “यह सुनते ही मैं उस पर क्रोधित हो गई और खुद को रोक न सकी.”

शैला भीड़ से कहते हुए सुनाई पड़ रही हैं कि किसी एक व्यक्ति के किए की सज़ा पूरे समुदाय को क्यों दी जा रही है.

शैला कहती हैं, “यह हिंदू की लड़ाई नहीं थी, वह बच्ची की लड़ाई थी. मैं समझती हूँ कि उसके लिए हर महिला को सड़क पर उतरना भी चाहिए.”

वह सवाल करती हैं, “क्या वह भीड़ हमारे लिए सुरक्षित थी? उन नारों को मैं दोहरा भी नहीं सकती, बहुत गंदी भाषा का प्रयोग किया जा रहा था.”

उन्होंने कहा, “अभियुक्त को सज़ा मिले या बच्ची को न्याय, भीड़ के मुंह पर इस तरह का कोई नारा नहीं था.”

शैली ने कहा कि इसके बजाय भीड़ एक ख़ास समुदाय को ही निशाना बनाकर सांप्रदायिक नारे लगाए जा रही थी.

शैला कहती हैं, “बचपन से लेकर आज तक नैनीताल में इस तरह की घटना मैंने पहली बार देखी है. हम रहते एक साथ आए हैं, खाते एक साथ आए हैं. तो आज अचानक ऐसा क्या हो गया जो उन लोगों को बाहर निकालो?”

उन्होंने कहा, “यह व्यापारियों के लिए सीज़न का समय है जिससे नुकसान हो रहा है. जब इस तरह का माहौल बनाया जाएगा तो क्या यहां टूरिस्ट आ पाएगा?”

शैला ने कहा, “यह मेरी सुरक्षा का सवाल था और मेरा लड़ना ज़रूरी था.”

अभियुक्त के परिवार ने साज़िश का लगाया आरोप

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दूसरी तरफ़ अभियुक्त उस्मान के बेटे डॉ. क़ासिम, जो सरकारी डॉक्टर हैं, उनका कहना है कि यह मामला एक साज़िश है.

बीबीसी हिंदी से बातचीत में क़ासिम ने कहा, “मेरे पिता 72 साल के हैं. वह सम्मानित व्यक्ति हैं और वर्षों से ठेकेदारी कर रहे हैं. उनसे जलने वालों ने यह षड्यंत्र रचा है.”

उन्होंने कहा, “जिस रात तहरीर दी गई, दो-तीन मिनट में ढाई सौ लोग थाने कैसे पहुंच गए? यह जानबूझकर सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश है.”

उनका दावा है कि पुलिस ने घर की गाड़ियों और सीसीटीवी की जांच की लेकिन कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला. इसके बावजूद उनके घर को फॉरेस्ट लैंड बताकर नोटिस चिपका दिया गया. उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.

बीजेपी नगर अध्यक्ष नितिन कारकी का कहना था कि बुधवार रात वह और उनके सहयोगी मल्लीताल थाने में मौजूद थे, जब स्वाति परिहार नाम की महिला लड़की और उनकी माँ को थाने लेकर आई थीं.

कारकी ने कहा, “उस समय दुकानों को शांतिपूर्ण ढंग से बंद कराया जा रहा था, लेकिन तभी एक व्यक्ति ने खास समुदाय के खिलाफ टिप्पणी कर दी, जिसके बाद माहौल बिगड़ गया.”

उन्होंने कहा, “जब उनकी तरफ़ से लड़ाई शुरू हुई तब फिर हमारी तरफ़ से भी लड़ाई शुरू हो गई. नैनीताल में जो डेमोग्राफ़िक बदलाव हो रहा है उस पर रोक लगने की आवश्यकता है. बाहर से आए लोगों का सत्यापन होना भी ज़रूरी है.”

मुख्यमंत्री धामी की प्रतिक्रिया

पुष्कर सिंह धामी

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इस मामले पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लड़की के परिवार से फोन पर बात की. उन्होंने कहा, “आप अकेले नहीं हैं, सरकार आपके साथ है.”

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि परिवार को सुरक्षा, आर्थिक सहायता और मानसिक परामर्श उपलब्ध कराया जाए. बच्ची को स्पॉन्सरशिप योजना से जोड़ने और उनकी बहन की शिक्षा की जिम्मेदारी सरकार द्वारा लेने की घोषणा भी की गई.

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में कहा गया कि “जो भी कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करेगा, उसे छोड़ा नहीं जाएगा.”

जिलाधिकारी ने भी बताया कि नैनीताल पूरी तरह सुरक्षित है और माहौल बिगाड़ने वालों पर सख़्त निगरानी रखी जा रही है.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

SOURCE : BBC NEWS