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“मंदिर टूट गया है, कोई उम्मीद नहीं है.”
“मंदिर सिर्फ एक पत्थर नहीं है, यह हमारी पहचान और संस्कृति है.”
“हम शांत हैं, कमज़ोर नहीं.”
“डर के नहीं, डट के खड़ा है पूरा समाज.”
इस तरह के अलग-अलग नारे और पोस्टर लेकर जैन समुदाय और हिंदू समुदाय के सदस्यों के साथ-साथ राजनीतिक दलों से जुड़े हजारों लोगों ने मुंबई में शनिवार को मार्च निकाला.
यह मार्च मुंबई के विले पार्ले में मौजूद पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर परिसर में महानगरपालिका की कार्रवाई के विरोध में निकाला गया.
विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए जैन समुदाय के कुछ लोगों की आंखों में आंसू थे. वो इस बात से दुखी थे कि तीन दशक पुराने मंदिर को तोड़ा गया है.
यह ‘शांतिपूर्ण’ रैली मंदिर के ख़िलाफ़ कार्रवाई के लिए महानगरपालिका को जवाबदेह ठहराने की मांग को लेकर आयोजित की गई थी.
इस बीच मुंबई ईस्ट वॉर्ड के वॉर्ड अधिकारी नवनाथ घाडगे को इस कार्रवाई के सिलसिले में बर्ख़ास्त कर दिया गया है. घाडगे को दस दिन पहले ईस्ट वॉर्ड में स्थानांतरित किया गया था.
बृहन्मुंबई नगरपालिका के आयुक्त भूषण गगरानी ने बीबीसी से बात करते हुए यह जानकारी दी.
वहीं मुंबई नॉर्थ-सेंट्रल सीट से सांसद वर्षा एकनाथ गायकवाड़ ने कहा है कि भूषण गगरानी से उनकी बातचीत हुई है उन्हें आश्वासन दिया गया है कि विले पार्ले में फिर से वहीं मंदिर बनाया जाएगा.


कहां से शुरू हुआ मामला?

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विले पार्ले ईस्ट इलाक़े में नेमिनाथ सहकारी आवास भवन के बगल में कांबलीवाड़ी इलाके़ में 32 साल पुराना जैन मंदिर था.
मुंबई महानगरपालिका के निर्माण दल ने 16 अप्रैल को इस मंदिर पर कार्रवाई करते हुए इस पर बुलडोज़र चला दिया था.
मंदिर का मामला कोर्ट में लंबित रहने के दौरान ही मुंबई नगर निगम ने पुलिसकर्मियों के पहरे में पूरे मंदिर को ध्वस्त कर दिया.
इसके बाद जैन लोगों के साथ-साथ, हिंदू समुदाय के लोगों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं ने इस कार्रवाई के विरोध में जैन समाज और विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में मुंबई के विले पार्ले ईस्ट में नगर निगम वॉर्ड कार्यालय तक ‘शांतिपूर्ण’ मार्च निकाला.
शनिवार को हुए इस विरोध प्रदर्शन के बाद मंदिर को ढहाने का मुद्दा देशभर में चर्चा में है.

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‘इस देश में मंदिर ही सुरक्षित नहीं हैं…’

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विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले मनीष जैन ने कहा, “अगर इस देश में मंदिर ही सुरक्षित नहीं हैं, तो हम कैसे सुरक्षित रहेंगे?”
उन्होंने कहा, “हम बहुत दुखी हैं. हमने और महिलाओं ने तब भी विरोध किया था जब मंदिर को तोड़ा जा रहा था और देवताओं और धर्मग्रंथों का अपमान किया जा रहा था. लेकिन हमारी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. यह बहुत दुखद है कि जूते पहनकर मंदिर के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई.”
स्थानीय निवासी सुनीता जैन भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हैं. वो कहती हैं कि जिस दिन मंदिर तोड़ने की कार्रवाई हुई वो वहां मौजूद थीं.
वो कहती हैं, “हम पूजा कर रहे थे, तभी अचानक पुलिस आ गई और तोड़फोड़ शुरू कर दी. हमें कोई भी सामग्री ले जाने की अनुमति नहीं थी. हमें घसीटकर बाहर निकाल दिया गया.”
मंदिर को लेकर क्या है विवाद?

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विले पार्ले ईस्ट के कांबलीवाड़ी इलाके़ में नेमिनाथ सहकारी आवास भवन के बगल में 32 साल पुराना एक दिगंबर जैन मंदिर था.
यह मंदिर एक इमारत के पार्किंग स्थल पर बना हुआ था और इस स्थान को लेकर विवाद था.
इस मामले में ज़मीन के दावेदारों और मंदिर के ट्रस्टियों के बीच कोर्ट में क़ानूनी लड़ाई भी चल रही है.
मामले की सुनवाई सत्र अदालत में हुई. अदालत ने अपने फ़ैसले में मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश दिया.
इसके बाद मामला बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंचा. हाई कोर्ट ने मुंबई महानगरपालिका को चार बार मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश दिया था.
अदालत ने कहा कि यदि पांचवीं बार भी कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया तो नगर निगम अधिकारियों के ख़िलाफ़ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी.
अखिल भारतीय जैन अल्पसंख्यक महासंघ के अध्यक्ष और जैन मंदिर मोर्चा के समन्वयक ललित गांधी ने बीबीसी से बात करते हुए इस मुद्दे पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की.
उन्होंने कहा, “बॉम्बे हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 15 अप्रैल तक स्थगित कर दी थी. सुनवाई 16 तारीख़ को सुबह 11 बजे होनी थी, लेकिन नगर निगम ने 16 तारीख़ को सुबह 8 बजे ही कार्रवाई की.”
“जब 16 तारीख को इस मामले में सुनवाई कोर्ट में हुई तो नगर पालिका ने कोर्ट से कहा कि कार्रवाई चल रही है.”
ललित गांधी ने यह भी कहा कि अदालत ने नगरपालिका को फटकार लगाते हुए कार्रवाई रोकने को कहा.
इस मामले में अगली सुनवाई अब 30 अप्रैल को होनी है.
ललित गांधी कहते हैं, “इस कार्रवाई के बाद हमारे देवता बाहर हैं. इसलिए, मलबे को वहां ले जाने और देवता को अस्थायी रूप से रखने के लिए एक शेड बनाने के बारे में भी चर्चा हुई है.”

मुंबई नगर निगम का क्या कहना है?
मुंबई नगर पालिका ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है.
हालांकि सत्र अदालत में सुनवाई के बाद अदालत ने नगरपालिका को मंदिर को ध्वस्त करने का निर्देश दिया था.
नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर नगर निगम के कुछ अधिकारियों ने बीबीसी को बताया कि यह कार्रवाई मुंबई नगर निगम के ईस्ट वॉर्ड विभाग ने की है.
अधिकारियों ने बताया इसके लिए नगर पालिका के ईस्ट वॉर्ड विभाग ने मंदिर को नोटिस जारी किया था. हालांकि, नोटिस देने के बावजूद मंदिर प्रशासन ने उनकी बात नहीं मानी, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई.
जैन समुदाय की मांगें क्या हैं?

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मंदिर के ख़िलाफ़ इस कार्रवाई के बाद जैन समुदाय के हज़ारों लोग अपना विरोध जताने के लिए मुंबई की सड़कों पर उतर आए.
जैन समाज ने इसके लिए ज़िम्मेदार नगर निगम अधिकारी को तत्काल निलंबित करने की मांग की है.
साथ ही मांग की है कि नगर निगम को तत्काल अपने खर्च पर नया मंदिर बनवाना चाहिए.
यह भी मांग की है कि नगर निगम इस घटना के लिए सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगे.
वर्षा गायकवाड़ ने क्या बताया?

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वर्षा एकनाथ गायकवाड मुंबई नॉर्थ-सेंट्रल सीट से सांसद और मुंबई कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष हैं.
उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है कि बृहन्मुंबई नगरपालिका के आयुक्त भूषण गगरानी से उनकी बातचीत हुई है. उन्हें आश्वासन दिया गया है कि विले पार्ले में फिर से वहीं मंदिर बनाया जाएगा.
उन्होंने लिखा, “बीएमसी आयुक्त भूषण गगरानी से मेरी बातचीत हुई जिन्होंने अब आश्वासन दिया है कि विले पार्ले में चैत्यालय फिर से वहीं बनाया जाएगा.”
उन्होंने बातचीत के दौरान का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया और लिखा, “ये कार्रवाई अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर ये सीधा-सीधा हमला है और देश की धर्मनिरपेक्षता पर प्रहार है.”
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दक्षिण भारत जैन सभा ने सीएम को लिखा पत्र
दक्षिण भारत जैन सभा ने इस मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर जैन मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग की है.
इस मामले पर दक्षिण भारत जैन सभा की एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें मंदिर के ख़िलाफ़ की गई कार्रवाई की निंदा की गई.
साथ ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नाम एक पत्र लिख उन्हें सौंपा गया है.
जैन सभा का कहना है, “बॉम्बे हाई कोर्ट के मामले पर रोक लगाने के बावजूद, मंदिर को जल्दबाज़ी में ध्वस्त कर दिया गया. इससे हमारे समाज की भावनाएं आहत हुई हैं.”
साथ ही बयान में कहा गया है, “उसी स्थान पर एक नया मंदिर बनाया जाना चाहिए और मंदिर तोड़ने में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.”

“अल्पसंख्यक होना क्या अभिशाप है?”
इस कार्रवाई को लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव ने बीजेपी पर निशाना साधा है, साथ ही उन्होंने जैस समुदाय को संबोधित करते हुए एक सोशल मीडिया पोस्ट लिखा है.
उन्होंने लिखा, “वर्तमान समय में देश में अल्पसंख्यक होना एक अभिशाप बनता जा रहा है. आज अल्पसंख्यक जैन समुदाय के मध्य भय, असुरक्षा और अनिश्चितता की जो भावना व्याप्त है, वो अत्यधिक चिंता का विषय है. जिसकी चर्चा, निंदा और आक्रोशपूर्ण प्रतिक्रिया संपूर्ण विश्व में हो रही है.”
अखिलेश यादव ने अपनी पोस्ट में मध्य प्रदेश के सिंगोली में जैन साधुओं पर हुए हिंसक हमले और जबलपुर से लीक हुए ऑडियो क्लिप जिसमें कथित तौर पर भाजपा सदस्यों ने जैन समुदाय के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी थी, उसका ज़िक्र किया. उन्होंने इन घटनाओं को जैन समुदाय के उत्पीड़न के ही मामले बताया.
उन्होंने लिखा “भाजपा समर्थित एक ऐसा बहुत बड़ा वर्ग है, जो जैनियों की धार्मिक, सार्वजनिक, व्यापारिक-व्यावसायिक ही नहीं बल्कि व्यक्तिगत संपत्तियों पर भी आँख गड़ाए बैठा है और जैनियों को अल्पसंख्यक ही मानकर उनसे उनका सब कुछ छीन लेना चाहता है.”
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इस मामले में कांग्रेस ने भी कड़ा रुख अपनाया है.
कांग्रेस ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर 46 सेकंड का एक वीडियो पोस्ट किया और लिखा, “मुंबई में बीजेपी ने मंदिर पर चलाया बुलडोज़र, जैन समाज के साथ पूरे देश की भावनाएं आहत हुई हैं. इस पाप के लिए देश इन्हें कभी माफ़ नहीं करेगा.”
एक अन्य पोस्ट में कांग्रेस ने लिखा “मंदिरों के प्रति बीजेपी की नफ़रत वक्त-वक्त पर सामने आती रहती है. इससे पहले स्मार्ट सिटी के नाम पर बनारस में सैकड़ों मंदिरों को ध्वस्त किया गया. भगवान की मूर्तियों को खंडित किया गया.”
“बीजेपी और उसके नेता अहंकार के मद में इस कदर चूर हैं कि लोगों की आस्था की उन्हें जरा भी परवाह नहीं है. इन्हें सिर्फ अपने और अपने मित्रों के फायदे की पड़ी है.”
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‘एक दूसरे के लिए खड़े हो, विभाजन मत होने दो’
शिवसेना विधायक और उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट के नेता आदित्य ठाकरे ने भी इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना की है.
आदित्य ठाकरे ने कहा, “मुंबई महानगरपालिका का प्रशासन मुख्यमंत्री कार्यालय के माध्यम से भाजपा द्वारा चलाया जाता है. अब यह एहसास हो गया होगा कि भाजपा सरकार किसी की नहीं है.”
उद्धव ठाकरे गुट की नेता और राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर विरोध प्रदर्शन का एक वीडियो साझा किया.
साथ ही लिखा, “प्रिय अल्पसंख्यक समुदायों, उनकी नज़र आप सभी पर है, न केवल मुसलमानों पर बल्कि जैन, पारसी, सिख और ईसाइयों पर भी. एक दूसरे के लिए खड़े होइए, खुद को विभाजित मत होने दीजिए.”
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बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
SOURCE : BBC NEWS