Source :- BBC INDIA
56 मिनट पहले
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को कुवैत का दो दिवसीय दौरा पूरा कर वापस आ गए. पीएम मोदी को विदा करने कुवैत के प्रधानमंत्री अहमद अब्दुल्लाह अल-अहमद अल-सबाह एयरपोर्ट आए थे.
पीएम मोदी ने इस दौरे को ऐतिहासिक बताया है और कहा है कि दोनों देश अब रणनीतिक साझेदार बन गए हैं.
नरेंद्र मोदी का कुवैत दौरा किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री का 43 साल बाद हुआ. इससे पहले 1981 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी गई थीं. पीएम मोदी के कुवैत दौरे को अरब देशों के मीडिया में भी काफ़ी तवज्जो मिली है.
कुवैत की कुल 43 लाख की आबादी में 10 लाख से ज़्यादा भारतीय हैं और यहाँ के कुल श्रमिकों में 30 प्रतिशत भारतीय हैं. कहा जा रहा है कि पीएम मोदी के दौरे से दोनों देशों के आर्थिक संबंधों में और गति आएगी.
सऊदी अरब से प्रकाशित होने वाले अंग्रेज़ी दैनिक अरब न्यूज़ से थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में स्ट्रैटिजिक स्टडीज प्रोग्राम के उपनिदेशक कबीर तनेजा ने कहा कि भारत और कुवैत के बीच अब रक्षा साझेदारी बढ़ेगी.
कबीर तनेजा ने कहा, ”रक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों की साझेदारी बढ़ेगी. इसके अलावा फार्मा सेक्टर से भारत का निर्यात बढ़ेगा. 2023 में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा फार्मा उत्पादक देश था.”
कुवैत के मीडिया में कैसी चर्चा
कुवैत टाइम्स में ‘कुवैत नेशनल कमिटी फॉर द इंप्लीमेंटेशन ऑफ एजेंडा 2030’ के अध्यक्ष डॉ ख़ालिद ए मेहदी ने पीएम मोदी के दौरे को लेकर एक कुवैत टाइम्स में लिखा है, ”2023-2024 में दोनों देशों के बीच व्यापार 10.479 अरब डॉलर का रहा. भारत का कुवैत में निर्यात 2.1 अरब डॉलर का रहा और इसमें सालाना 34.78 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2022 में तो भारत ने कुवैत से 15 अरब डॉलर के कच्चे तेल, गैस और पेट्रोकेमिकल उत्पाद के आयात किए थे.”
डॉ ख़ालिद ए मेहदी ने लिखा है, ”दोनों देशों के बीच संबंध कारोबार तक ही सीमित नहीं है. कुवैत में 10 लाख से ज़्यादा भारतीय रहते हैं. यह ग़ैर अरब प्रवासियों की सबसे बड़ी संख्या है. कुवैत में भारत के न केवल मज़दूर हैं बल्कि बड़ी संख्या में इंजीनियर और फ़ाइनैंस सेक्टर के प्रोफ़ेशनल भी हैं.”
“दोनों देशों के बीच संबंध सदियों पुराना है. भारत कुवैती परिवारों और कारोबारियों के लिए शिक्षा के साथ कारोबार का पसंदीदा देश रहा है. 20वीं सदी में बॉम्बे कुवैतियों के लिए एक अहम बिज़नेस सेंटर था. कुवैत के लोगों का बॉम्बे में घर और कंपनी होना बहुत पुरानी बात है.”
डॉ ख़ालिद ए मेहदी ने लिखा है, ”मुंबई के मोहम्मद अली स्ट्रीट पर कुवैतियों की दुकानें और दफ़्तर भरे पड़े हैं. ‘मोहम्मद अली स्ट्रीट’ एक कुवैती ड्रामा भी है, जो दोनों देशों के संबंधों की गहराई को दिखाता है.भारत कुवैत की अहम हस्तियों का जन्म स्थान भी रहा है. पीएम मोदी का दौरा तब हुआ है, जब गल्फ़ कोऑपरेशन काउंसिल यानी जीसीसी की अध्यक्षता कुवैत के पास है.”
डॉ हाइला अल-मेकाइमी कुवैत यूनिवर्सिटी में राजनीतिक विज्ञान की प्रोफ़ेसर हैं.
उन्होंने कुवैत टाइम्स में मोदी के दौरे पर लिखा है, ”2014 में भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने विदेशी नीति को नया आकार दिया. खाड़ी के देश भारत के विस्तृत पड़ोसी हैं और पीएम मोदी ने यहां ख़ासा ध्यान दिया.”
“जीसीसी का कुवैत आख़िरी देश है, जहाँ पीएम मोदी ने दौरा किया है. इससे पहले वह जीसीसी के बाक़ी पाँच देशों का दौरा कर चुके हैं. गल्फ़ से भारत के ऐतिहासिक संबंध रहे हैं. भारत से गल्फ़ का संबंध ऊर्जा, ट्रेड और प्रवासियों से आगे बढ़कर रक्षा, निवेश और राजनीति तक पहुँच गया है.”
खाड़ी के देशों में पीएम मोदी
डॉ हाइला ने लिखा है, ”मोदी ने खाड़ी के देशों के दौरे को अक्सर पर्सनल टच दिया है. मिसाल के तौर पर 2015 में यूएई के शासक के साथ मोटर ड्राइव करना. जीसीसी के देशों में 90 लाख से ज़्यादा भारतीय रहते हैं और जीसीसी ही भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है. कोविड महामारी के दौरान पीएम मोदी ने कुवैत में भारत से मेडिकल टीम और आपूर्ति भेजी थी. ऐसी पहल पारंपरिक साझेदारी से आगे की होती है.”
कुवैत के एक और अंग्रेज़ी अख़बार ‘टाइम्स कुवैत’ ने लिखा है, भारत के कुल वैश्विक व्यापार में जीसीसी देशों की हिस्सेदारी 16 प्रतिशत है. 2022-23 में भारत का जीसीसी देशों के साथ 184 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था.
पीएम मोदी ने कुवैत न्यूज़ एजेंसी कुना को दिए इंटरव्यू में दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों को रेखांकित किया है.
पीएम मोदी ने कुना की फ़ातमा अल-सालेम से कहा, ”कुवैत और भारत के बीच व्यापार पुरातन काल से ही है. फ़ाइलका द्वीप की खोज हमारे साझे अतीत का सबूत है. क़रीब एक सदी से ज़्यादा 1961 तक भारतीय रुपया कुवैत में एक वैध मुद्रा थी. इसी से पता चलता है कि दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध कितना गहरा था.”
अंतरराष्ट्रीय मामलों विशेषज्ञ सी राजामोहन ने भारत के अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस में मोदी के कुवैत दौरे से ठीक पहले लिखा था, ”जब इराक़ी नेता सद्दाम हुसैन ने अगस्त 1990 में कुवैत पर हमला किया तो भारत में गठबंधन की सरकार थी और किसी तरह से चल रही थी. भारत ने सद्दाम हुसैन के हमले की निंदा तक नहीं की थी जबकि यह तथ्य किसी से छुपा नहीं था कि सद्दाम हुसैन कुवैत को मध्य-पूर्व के नक़्शे से एक संप्रभु देश के रूप में मिटा देना चाहते थे.”
”सोवियत यूनियन ने 1979 में अफ़ग़ानिस्तान पर हमला किया था, तब भी भारत ने आलोचना नहीं की थी और 2022 में रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, तब भी भारत ने निंदा नहीं की. लेकिन कुवैत पर सद्दाम हुसैन का हमला थोड़ा अलग था. सद्दाम हुसैन, सोवियत यूनियन और पुतिन भारत के क़रीबी साझेदार रहे हैं. भारत का आलोचना से बचना समझ से परे नहीं है. कई देश अपने साझेदारों को नाराज़ नहीं करना चाहते हैं.”
इस्लामिक देशों से रिश्ते
कुवैत के अलावा जीसीसी के कई देशों ने मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाज़ा है. कहा जाता है कि मोदी हिन्दुत्व की छवि के साथ खाड़ी के देशों से संबंध मज़बूत करने में कामयाब रहे हैं.
थिंक टैंक कार्नेगी एन्डाउन्मेंट से अबूधाबी में पश्चिम के एक पूर्व राजदूत ने कहा था कि मोदी की व्यावहारिक राजनीति वाला माइंडसेट और एक मज़बूत नेता वाली शैली सऊदी और यूएई के दोनों प्रिंस पसंद करते हैं.
थिंक टैंक कार्नेगी एन्डाउन्मेंट ने अगस्त 2019 की अपनी एक रिपोर्ट में लिखा था, ”शुरुआत में ऐसा लगा था कि नरेंद्र मोदी की राजनीतिक पृष्ठभूमि अरब प्रायद्वीप से संबंधों को आगे बढ़ाने में आड़े आएगी. मोदी हिन्दू राष्ट्रवाद के प्रबल समर्थक हैं. पॉलिटिकल इस्लाम के समाधान में मोदी का सुरक्षा से जुड़ा दृष्टिकोण दोनों देशों के शासकों के विचारों से मेल खाता था. फ़रवरी 2019 में नई दिल्ली में एक समारोह में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने नरेंद्र मोदी को अपना ‘बड़ा भाई’ बताया था.”
मध्य-पूर्व के विशेषज्ञ और थिंक टैंक ओआरएफ़ इंडिया के फ़ेलो कबीर तनेजा ने लिखा था, ”2002 के दंगों के दौरान नई दिल्ली में खाड़ी के देशों के दूतावासों ने भारतीय विदेश मंत्रालय से कोई स्पष्टीकरण की मांग नहीं की थी. हालांकि पाकिस्तान इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी में इन मुद्दों को उठाता रहा है. पहले गल्फ़ वॉर में भारत का रुख़ सद्दाम हुसैन के समर्थन में था. 2014 के बाद मोदी ने खाड़ी के देशों के साथ संबंध बहुत ही प्रभावी तरीक़े से बदला है.”
फ़रवरी 2019 में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भारत के दौर पर आए थे. क्राउन प्रिंस नई दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुँचे तो उनकी अगवानी में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खड़े थे. पीएम मोदी प्रोटोकॉल तोड़ एयरपोर्ट पर पहुँचे थे.
क्राउन प्रिंस तब सऊदी अरब के प्रधानमंत्री भी नहीं बने थे. इसी दौरे में नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में सऊदी क्राउन प्रिंस ने कहा था, ”हम दोनों भाई हैं. प्रधानमंत्री मोदी मेरे बड़े भाई हैं. मैं उनका छोटा भाई हूँ और उनकी प्रशंसा करता हूँ. अरब प्रायद्वीप से भारत का संबंध हज़ारों साल पुराना है. यहाँ तक कि इतिहास लिखे जाने से पहले से. अरब प्रायद्वीप और भारत के बीच का संबंध हमारे डीएनए में है.”
भारत के दौरे पर आए मोहम्मद बिन सलमान ने कहा था, ”पिछले 70 सालों से भारत के लोग दोस्त हैं और सऊदी के निर्माण में ये भागीदार रहे हैं.”
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