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साख पर बट्टा न लगा दे पाकिस्तान… अरबों का कर्ज देने के बाद IMF भी टेंशन में आया

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Source :- LIVE HINDUSTAN

पाकिस्तान को अरबों का कर्ज देने के बाद आईएमएफ भी अब टेंशन में है। उसे डर सता रहा है कि कहीं पाकिस्तान फंड का इस्तेमाल गलत तरीके या आतंकवाद के लिए इस्तेमाल न करे। उसे अब अपनी साख के नुकसान का डर सता रहा है।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तानMon, 19 May 2025 08:00 AM
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साख पर बट्टा न लगा दे पाकिस्तान… अरबों का कर्ज देने के बाद IMF भी टेंशन में आया

भारत से भारी तनाव के बीच पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ से अरबों का कर्ज लिया है। कर्ज की दो किश्त उसे मिल भी चुकी हैं। अरबों के इस कर्ज का पाकिस्तान कैसे इस्तेमाल करेगा? यह जगजाहिर है, लेकिन इन आशंकाओं ने IMF की चिंता बढ़ा दी है। IMF ने कहा है कि अगर पाकिस्तान में हालात बिगड़े या भारत के साथ तनाव और बढ़ा, तो उसकी सुधार योजनाएं फेल हो सकती हैं और हमारी छवि को भी नुकसान हो सकता है।

भारत जता चुका आपत्ति

भारत ने पहले ही IMF को आगाह किया था कि यह पैसा कहीं आतंकी ढांचे को दोबारा खड़ा करने में न लग जाए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले सप्ताह कहा था कि पाकिस्तान इस मदद का दुरुपयोग कर सकता है और इसे आतंकी गतिविधियों में लगा सकता है। इस बीच पाकिस्तानी चैनलों में यह भी रिपोर्ट सामने आई कि पाक सरकार जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को करोड़ों का मुआवजा दे सकती है, यह नुकसान उसे भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुआ। ऑपरेशन सिंदूर में सेना ने जैश के कई ठिकानों को तबाह कर दिया था। अजहर के परिवार के कई लोग भी मारे गए।

पाकिस्तान को दो राहत पैकेज

पाकिस्तान को आईएमएफ से दो पैकेड मिले हैं, पहला- $1.4 अरब की जलवायु राहत सहायता और $1 अरब का नया कर्ज। भारत ने 9 मई को IMF की बैठक में इस पर आपत्ति जताई थी, लेकिन अमेरिका और यूरोपीय देशों ने इस सहायता को मंजूरी दे दी।

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अब IMF को सता रही चिंता

IMF ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत-पाक तनाव और पाकिस्तान के अंदर के हालात सुधारों में बाधा बन सकते हैं। अगर फंड का दुरुपयोग हुआ या पक्षपात का आभास हुआ, तो इससे IMF की साख को नुकसान हो सकता है। इसके लिए IMF ने पाकिस्तान पर 11 नई शर्तें लगाई हैं। जिनमें प्रमुख रूप से बजट संसद से IMF के मुताबिक पास कराना, टैक्स छूट खत्म करना, बिजली-गैस दरों में सुधार, वाहन आयात की पाबंदी हटाना और पारदर्शिता और प्रशासनिक सुधार शामिल हैं।

SOURCE : LIVE HINDUSTAN