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मधुबनी : सनातन धर्म में ज्यादातर शादियां रात को ही होती हैं. इसका कारण है चंद्रमा और ध्रुव तारा. किसी भी शुभ कार्य को करने में हम चंद्रमा या तो सूर्य को साक्षी मानते हैं. चंद्रमा को शीतलता का प्रतीक माना जाता है, जबकि ध्रुव तारा को स्थिर और दिशाओं को खोजने वाला तारा बताया जाता है, ऐसे में रात में शादी करने से नए रिश्ते को शीतलता, स्थिरता के साथ दाम्पत्य जीवन में बंधते ही लोग सही रास्ते पर चलें.
लोकल 18 से बात करते हुए ज्योतिष गिरधर झा बताते हैं कि शादी रात में होने की जो परंपरा है, वह एक सामाजिक परंपरा है. शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि शादी कभी भी हो सकती है, जब लग्न सही हो. यह दिन में भी हो सकती है और रात में भी. लेकिन ज्यादातर शादियां रात को होती हैं, क्योंकि यह सामाजिक परंपरा है.
शादी के लिए पांच लग्न को बहुत शुभ माना गया है. यदि इन्हीं लग्नों में शादी हो, तो वह वैवाहिक जीवन पर अच्छा प्रभाव डालती है.
कौन-कौन से लग्न शुभ हैं
शादी के लिए सबसे अधिक शुभ पांच लग्न हैं – धेनु, मीन, तुला, वृश्चिक, हनु. ये लग्न कभी दिन में और कभी रात में आते हैं. ज्योतिष के अनुसार, इन्हीं लग्नों में शादी करनी चाहिए. इसके अलावा, सिंह या वृष लग्न में शादी का मुहूर्त नहीं निकालना चाहिए. वृष (बैल) के प्रतीक होने के कारण यह दंपत्ति के बीच झगड़ों का कारण बन सकता है. इसलिए शुभ लग्न में शादी करना अच्छा माना जाता है. भारत में विविधताएं हैं, और सामाजिक तथा शास्त्रीय दोनों परंपराओं का पालन करते हुए विवाह किए जाते हैं.
इन बातों का रखें ध्यान
शादी के लिए शुभ लग्न, मुहूर्त, और समय (राहुकाल नहीं होना चाहिए) का ध्यान रखना जरूरी है. शादी हमेशा खुले में होती है क्योंकि इसमें सूर्य, चंद्र, वरुण, देवता और पितरों को साक्षी माना जाता है. इसी वजह से वेदी बनाई जाती है और वेदी पर ही विवाह संपन्न होता है. यह सब भगवान के सामने देवताओं और पितरों को साक्षी मानकर किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : December 23, 2024, 09:53 IST
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