Source :- NEWS18
Last Updated:June 06, 2025, 19:19 IST
आयुर्वेद में चरक संहिता के अनुसार लौंग मिर्च, सिरका और नमक का अत्यधिक सेवन हानिकारक हो सकता है. डॉ. रेखा के अनुसार इनका संतुलित मात्रा में सेवन ही लाभकारी होता है.
हाइलाइट्स
- लौंग मिर्च का अत्यधिक सेवन शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है.
- सिरके का अधिक सेवन आंखों, हृदय और बालों के लिए हानिकारक हो सकता है.
- अत्यधिक नमक का सेवन ब्लड प्रेशर और हृदय रोग बढ़ा सकता है.
आयुर्वेद में तीन ऐसे खाद्य पदार्थों का उल्लेख किया गया है जिन्हें अत्यधिक मात्रा में या लंबे समय तक सेवन करने से शरीर को हानि हो सकती है. इन्हें “त्रिविध अतिसेवन वर्ज्य द्रव्य” कहा गया है, जिसका अर्थ है ऐसे तीन पदार्थ जिन्हें अधिक मात्रा में लेने से बचना चाहिए. इसे प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ चरक संहिता में विस्तार से बताया गया है. इन तीन पदार्थों का सेवन सोच-समझकर और सीमित मात्रा में करना ही शरीर के लिए लाभकारी होता है. आइए जानते हैं आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ. रेखा से…
पहला पदार्थ है लौंग मिर्च (Long Pepper). यह मसाला अपने औषधीय गुणों के कारण आयुर्वेद में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. लौंग मिर्च पाचन तंत्र को मजबूत करती है और कई बीमारियों से लड़ने में मदद करती है. लेकिन इसका अत्यधिक सेवन करने से शरीर में गर्मी बढ़ सकती है और लंबे समय तक लेने से शरीर के संतुलन में गड़बड़ी हो सकती है. इसके अलावा एसिडिटी या अन्य पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए लौंग मिर्च का सेवन हमेशा संतुलित मात्रा में ही करना चाहिए ताकि इसका लाभ शरीर को मिले बिना कोई हानि हो.
दूसरा पदार्थ है सिरका (Vinegar) और सेब का सिरका (Apple Cider Vinegar). सिरका स्वाद या Preservatives के रूप में उपयोग किया जाता है, लेकिन आयुर्वेद में इसे भी सीमित मात्रा में लेने की सलाह दी गई है. सिरके का अत्यधिक सेवन आंखों, हृदय और बालों के लिए नुकसानदायक हो सकता है. सिरका एसिडिक होता है, जो आंखों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है और लंबे समय तक इसका सेवन करने से हृदय की क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है. बालों की जड़ों को भी सिरके की अधिकता से नुकसान पहुंच सकता है, जिससे बाल कमजोर और गिरने लगते हैं. इसलिए सिरके का सेवन सावधानी और मापदंड के साथ करना चाहिए.
इस प्रकार, आयुर्वेद हमें ये सिखाता है कि चाहे कोई भी भोजन या पदार्थ हो, उसका सही मात्रा में सेवन करना ही स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है. अतिसेवन से किसी भी चीज का नुकसान हो सकता है. आयुर्वेद का मूल मंत्र है ‘मिताहारी’ यानी संतुलित आहार. यह न केवल शरीर को स्वस्थ बनाए रखता है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्थिति को भी बेहतर बनाता है. इसलिए इन तीनों पदार्थों को लेकर हमेशा सावधानी बरतें और उन्हें अपने दैनिक आहार में सोच-समझकर शामिल करें. इससे न केवल आपके अंग स्वस्थ रहेंगे, बल्कि आपका सम्पूर्ण जीवन भी खुशहाल और रोगमुक्त रहेगा.
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विविधा सिंह न्यूज18 हिंदी (NEWS18) में पत्रकार हैं. इन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में बैचलर और मास्टर्स की डिग्री हासिल की है. पत्रकारिता के क्षेत्र में ये 3 वर्षों से काम कर रही हैं. फिलहाल न्यूज18…और पढ़ें
विविधा सिंह न्यूज18 हिंदी (NEWS18) में पत्रकार हैं. इन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में बैचलर और मास्टर्स की डिग्री हासिल की है. पत्रकारिता के क्षेत्र में ये 3 वर्षों से काम कर रही हैं. फिलहाल न्यूज18… और पढ़ें
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