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विजय माल्या भारत लौटने और ख़ुद को भगोड़ा कहे जाने के बारे में क्या बोले?

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Source :- BBC INDIA

विजय माल्या

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5 घंटे पहले

शराब कारोबारी विजय माल्या एक बार फिर भारत में चर्चा में हैं. उन्होंने हाल ही में यूट्यूबर राज शमानी को एक इंटरव्यू दिया है, जिसमें माल्या ने कई बड़े दावे किए हैं.

विजय माल्या ने कहा, “जब मैं भारत छोड़ रहा था तब मैंने वित्त मंत्री (तत्कालीन) अरुण जेटली को बताया कि मैं लंदन जा रहा हूं. मुझे जेनेवा में एक मीटिंग में शामिल होना है. मैं वापस आऊंगा. कृपया बैंकों से कहें वो मेरे साथ बैठकर सेटलमेंट कर लें.”

विजय माल्या ने कहा कि उन्होंने ये दावा कभी नहीं किया कि उन्होंने अरुण जेटली के साथ बैठकर मुलाक़ात की है. ये सब बातें उन्होंने संसद में चलते-फिरते हुई मुलाक़ात में कही हैं.

इससे पहले साल 2018 में भी माल्या भारत छोड़ने से पहले अरुण जेटली से मिलने का दावा कर चुके हैं. हालांकि, उस वक्त अरुण जेटली ने उनके दावे को ख़ारिज कर दिया था.

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फिलहाल, विजय माल्या ब्रिटेन में रह रहे हैं. साल 2016 में भारत छोड़ने के बाद से भारतीय एजेंसियां ब्रिटेन के कोर्ट में माल्या को भारत लाने की क़ानूनी लड़ाई लड़ रही हैं.

माल्या पर आरोप है कि उन्होंने अपनी किंगफ़िशर एयरलाइन कंपनी के लिए बैंकों से क़र्ज़ लिया और उसे बिना चुकाए वो विदेश चले गए. क़र्ज़ की यह रकम क़रीब 10 हज़ार करोड़ रुपए बताई जाती है. किंगफ़िशर एयरलाइन ख़स्ताहाल होने के बाद बंद हो चुकी है.

इस इंटरव्यू में माल्या ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु टीम के बनने की कहानी भी बताई. साथ ही उन्होंने भारत वापस आने को लेकर और उन्हें ‘भगोड़ा’ कहे जाने पर भी जवाब दिया है.

माल्या ने इस इंटरव्यू को एक्स पर शेयर किया और किंगफ़िशर के कर्मचारियों से माफ़ी भी मांगी.

उन्होंने लिखा, “बीते नौ सालों में मैंने पहली बार इस पॉडकास्ट में अपनी बात कही है. मैं किंगफ़िशर एयरलाइंस के कर्मचारियों से माफ़ी मांगना चाहता हूं. साथ ही सच्चाई और तथ्यों के साथ जानकारी को स्पष्ट तौर पर रखना चाहता हूं.”

अरुण जेटली से हुई मुलाक़ात के बारे में माल्या ने और क्या कहा?

अरुण जेटली

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राज शमानी ने इंटरव्यू के दौरान माल्या से सवाल किया, “3 मार्च 2016 को सुप्रीम कोर्ट में आपके मामले में सुनवाई होनी थी और आपको सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश होना था. 1 मार्च को आप दिल्ली में थे, आप संसद गए और 2 मार्च को आपने देश छोड़ दिया. सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश होने से एक दिन पहले, क्या ये सब सही है?”

इस सवाल के जवाब में विजय माल्या ने कहा कि ये सब बातें पूरी तरह से ‘ग़लत’ हैं. उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट में कोई भी सुनवाई नहीं होनी थी और ना ही मुझे कोर्ट के सामने पेश होने के लिए समन किया गया था. मुझे ऐसी किसी सुनवाई के बारे में जानकारी नहीं है.”

माल्या ने कहा, “मैंने वित्त मंत्री (तत्कालीन) अरुण जेटली को एयरपोर्ट जाते समय बताया था. इसके बाद मैंने दिल्ली से लंदन के लिए उड़ान भरी. मैं एफ़आईए वर्ल्ड काउंसिल की मीटिंग में शामिल होने के लिए जेनेवा जा रहा था. ये मीटिंग महीनों पहले ही तय हो गई थी. मैंने वित्त मंत्री को इसलिए बताया क्योंकि मैं संसद से सीधा दिल्ली एयरपोर्ट गया था.”

इससे पहले साल 2018 में भी विजय माल्या ने यह दावा किया था कि भारत छोड़ने से पहले वो अरुण जेटली से मिले थे. उन्होंने कहा था, “मैं भारत से जेनेवा एक पहले से तय मीटिंग के लिए गया था. जाने से पहले मैंने वित्त मंत्री से मुलाक़ात की थी.”

विजय माल्या

जेटली ने ‘फेक्चुअल सिचुएशन’ शीर्षक से एक फ़ेसबुक पोस्ट लिखी थी और कहा था कि माल्या के दावे में कोई सच्चाई नहीं है.

जेटली ने कहा था, “यह तथ्यात्मक रूप से ग़लत है और यह सच को नहीं दर्शाता है. 2014 से मैंने कभी उन्हें (माल्या को) मुलाकात का वक्त नहीं दिया, ऐसे में मुझसे मिलने का सवाल ही नहीं उठता. हालांकि वो राज्यसभा के सदस्य थे और कभी-कभी सदन में भी आया करते थे.”

“ऐसे में उस विशेषाधिकार का दुरुपयोग करते हुए जब मैं सदन की कार्यवाही के बाद अपने कमरे की ओर जा रहा था तो वो मेरी ओर आए और चलते-चलते कहा ‘मैं कर्ज़ चुकता करने का एक ऑफ़र दे रहा हूं’. मैंने उनसे कहा, मुझसे बात करने का कोई फ़ायदा नहीं है, आपको बैंक को ऑफ़र देने चाहिए. मैंने उनके हाथ में पड़े कागज़ को लेने से भी इनकार कर दिया.”

अब राज शमानी को दिए इंटरव्यू में विजय माल्या ने इस वाकये को लेकर भी बात की है.

माल्या ने कहा, “जेटली से मुलाक़ात की बात जैसे ही मीडिया में फैली, लोगों ने जेटली से सवाल किया. उन्होंने मुझसे मुलाक़ात की बात को ख़ारिज कर दिया. कांग्रेस के एक सांसद ने हमें देखा था और उन्होंने मीडिया से कहा कि मैंने दोनों को साथ देखा था. इसके बाद जेटली अपने बयान से पलट गए और कहा कि हां मैं मिला हूं लेकिन चलते हुए.”

उन्होंने कहा, “मैंने ये कभी नहीं कहा कि मैं जेटली के दफ़्तर गया था और उनके सामने बैठा और साथ में चाय पी. मैंने सिर्फ़ ये कहा कि मैंने निकलते समय वित्त मंत्री को बताया था कि मैं लंदन जा रहा हूं. मुझे जेनेवा में एक मीटिंग में शामिल होना है. मैं वापस आऊंगा. कृपया बैंकों से कहें वो मेरे साथ बैठकर सेटलमेंट कर लें.”

भारत आने के बारे में क्या बोले माल्या?

विजय माल्या

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जब विजय माल्या से भारत में उनका पासपोर्ट रद्द होने और इसके ख़िलाफ़ नहीं लड़ने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “एक व्यक्ति एक साथ कितने मोर्चों में लड़ सकता है? मेरे पास करने के लिए पर्याप्त चीज़ें थीं और मैं अपनी क़ानूनी लड़ाइयों पर फोकस करना चाहता था.”

राज शमानी ने विजय माल्या से पूछा कि क्या आपको ये नहीं लगता कि भारत वापस नहीं लौटने की वजह से चीज़ें और भी ख़राब हो गईं?

इस सवाल पर माल्या ने कहा, “अगर मुझे फेयर ट्रायल और सम्मानपूर्वक रहने को लेकर भरोसा दिया जाए तो मैं इसके बारे में गंभीरता से सोचूंगा. लेकिन आपको ये भी पता होना चाहिए कि ऐसे कुछ अन्य लोग भी हैं जिन्हें भारत सरकार ब्रिटेन से प्रत्यर्पण करने को लेकर टारगेट कर रही है.”

विजय माल्या ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं. उन्होंने किसी का नाम नहीं लेते हुए कहा, “ऐसे एक मामले में हाई कोर्ट का फ़ैसला आया कि भारत ने प्रत्यर्पण की जो शर्ते रखी हैं वो नियमों का उल्लंघन करती हैं. इसलिए प्रत्यर्पण नहीं हो सकता. यह याचिका बिना किसी ट्रायल के लंबे समय तक के प्रत्यर्पण के लिए थी. ऐसे कई उदाहरण हैं.”

माल्या से पूछा गया कि अगर उन्हें भारत प्रत्यर्पित किया जाता है तो उनकी शर्तें क्या होंगी?

इस पर उन्होंने कहा, “यह वकीलों के चर्चा का विषय है. लेकिन सीबीआई और ईडी जिस तरह से काम करती है और उनका जिस तरह का ट्रैक रिकॉर्ड है, उससे ज़्यादा भरोसा नहीं होता.”

‘भगोड़ा’ कहे जाने पर माल्या क्या बोले?

विजय माल्या

राज शमानी ने कहा कि भारत में ऐसे कई सारे बिज़नेसमैन हैं, जिन्होंने बैंक लोन नहीं चुकाया है. इसके बावजूद वो भारत में रह रहे हैं और अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं. इसकी वजह से लोग उन्हें ‘भगोड़ा’ या ‘चोर’ नहीं कहते. ऐसे कई सारे मामले हैं.

इस पर माल्या ने जवाब दिया, “कोई बात नहीं, अगर भारत नहीं जाने पर लोग मुझे भगोड़ा कहते हैं. मैं वहां से भागा नहीं हूं. मैं अपनी पहले से तय यात्रा पर भारत से निकला. मैं वापस नहीं लौटा क्योंकि मुझे उसके पीछे उचित कारण दिखे.”

“अगर आप मुझे भगोड़ा कहना चाहते हैं तो कहिए. लेकिन ये चोर शब्द कहां से आया? मैंने चोरी कहां की?”

इंटरव्यू के दौरान जब दोबारा विजय माल्या से भारत से भागने को लेकर सवाल किया गया. इस पर विजय माल्या ने कहा, “भाग गया या भगोड़ा होने का पूरा नैरेटिव उन लोगों से आ रहा है, जो तथ्यों को नहीं जानते हैं.”

उन्होंने कहा, “मैं 1988 में इंग्लैंड आया. 1992 में मुझे आईएलआर मिल गया. पिछले 32 सालों से मैं ब्रिटेन का स्थायी निवासी हूं.”

ब्रितानी सरकार के मुताबिक़, आईएलआर का मतलब ‘इनडेफिनिट लीव टू रिमेन’ है. इसके तहत व्यक्ति जब तक चाहे तब तक उसे ब्रिटेन में रहने, काम करने और पढ़ाई करने का अधिकार मिलता है. इसका इस्तेमाल ब्रिटेन की नागरिकता के लिए आवेदन देने में भी किया जा सकता है.

विजय माल्या ने कहा, “मुझे भारत में केवल 180 दिन रहने की अनुमति मिली थी क्योंकि 1988 से मेरे पास ग़ैर-निवासी का दर्जा है. इसी कारण से मैं अक्सर आना-जाना किया करता था.”

माल्या ने कैसे खरीदी आरसीबी की ओनरशिप

विजय माल्या और ललित मोदी

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विजय माल्या ने बताया कि जब उन्होंने रॉयल चैलेंज व्हिस्की ब्रांड का अधिग्रहण किया, तब वो इसे आगे बढ़ाने का सोच रहे थे. जिसके लिए मार्केटिंग की ज़रूरत थी. उसी समय आईपीएल की शुरुआत हुई.

माल्या ने बताया, “मैं कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन के प्रतिनिधि के तौर पर बीसीसीआई कमिटी के सामने बैठा था और मैं ललित मोदी के आईपीएल को लेकर दिए आइडिया से बहुत प्रभावित था.”

“मुझे एक दिन फोन आया कि हम तैयार हैं और टीमों की बोली लगने जा रही है. क्या आप खरीदने जा रहे हैं? मैंने सोचा कि एक ऐसे देश में जहां क्रिकेट एक धर्म है, मुझे अपने ब्रांड्स को प्रमोट करने के लिए क्रिकेट से बेहतर क्या मिल सकता है?”

विजय माल्या ने ये भी बताया कि वो दो टीमें खरीदना चाहते थे. उन्होंने कहा, “मैं लालची हो गया था. मैं एक टीम किंगफ़िशर के लिए और एक रॉयल चैलेंज व्हिस्की ब्रांड के लिए खरीदना चाहता था.”

“लेकिन, उन्होंने मुझसे कहा कि नहीं, आप दो टीमें नहीं खरीद सकते हैं. आप केवल एक ही टीम खरीद सकते हैं.”

माल्या ने ये भी बताया कि बोली के वक्त उन्होंने तीन फ्रेंचाइज़ियों के लिए बोली लगाई थी. माल्या ने कहा, “मैं आईपीएल टीम के ज़रिए अपने ब्रांड्स को प्रमोट करने को लेकर ज़्यादा उत्सुक था. इसलिए मैंने तीन फ्रेंचाइज़ीस के लिए बोली लगाई.”

“मैं मुंबई के लिए बहुत कम पैसे से बोली हार गया. मैं तीन फ्रेंचाइज़ीस के लिए सबसे ज़्यादा बोली लगाने वाला व्यक्ति था, लेकिन मुझे किसी एक को चुनना था. इसलिए मैंने बेंगलुरु को चुना. यह बहुत स्वाभाविक था कि टीम का नाम रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर होगा. क्योंकि व्हिस्की का नाम रॉयल चैलेंज था. इस तरह आरसीबी का जन्म हुआ.”

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SOURCE : BBC NEWS