Source :- KHABAR INDIATV
नीचा नगर
फ्रांस के कान्स शहर में 13 से 24 मई तक 78वें कान्स फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है। पिछले साल कान्स फिल्म फेस्टिवल 2024 में भारतीय फिल्ममेकर पायल कपाड़िया की फिल्म ‘ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट’ को प्रतिष्ठित पाम डी’ओर कैटेगरी में दिखाया गया था। इस कैटेगरी में 30 साल बाद भारत की कोई फिल्म नॉमिनेट हुई थी। इसके अलावा इस फिल्म ने पिछले साल ग्रैंड प्रिक्स अवॉर्ड भी जीता था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पिछले कुछ सालों में कान्स में कई भारतीय फिल्मों का प्रीमियर हुआ है? 1946 में कान्स की स्थापना के बाद से ही भारतीय फिल्मों का कान्स में प्रीमियर होना शुरू हो गया था। कान्स में दिखाई जाने वाली पहली भारतीय फिल्म ‘नीचा नगर’ थी। निर्देशक चेतन आनंद की फिल्म ‘नीचा नगर’ कान्स में पहली बार प्रदर्शित हुई थी। इस फिल्म को ‘ग्रैंड प्रिक्स डू फेस्टिवल इंटरनेशनल डू फिल्म’ से सम्मानित किया गया था। आपको बता दें कि ग्रैंड प्रिक्स फेस्टिवल जूरी द्वारा प्रतिस्पर्धी फीचर फिल्मों में से किसी एक को दिया जाता है।
इस साल कान्स में भारतीय फिल्में
इस साल कान्स फिल्म फेस्टिवल में पांच भारतीय फिल्में दिखाई जाएंगी। होमबाउंड: नीरज घेवन की ‘होमबाउंड’ को कान्स फिल्म फेस्टिवल के ‘अन सर्टेन रिगार्ड’ सेक्शन के लिए चुना गया है। इसे करण जौहर ने प्रोड्यूस किया है। इसमें जान्हवी कपूर और ईशान खट्टर मुख्य भूमिकाओं में हैं। अरणयेर दिन रात्रि: बंगाली फिल्म ‘अरणयेर दिन रात्रि’ भी कान्स में दिखाई जाएगी। सत्यजीत रे द्वारा निर्देशित इस फिल्म का वर्ल्ड प्रीमियर होगा। ‘अरण्येर दिन रात्रि’ 1970 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में शर्मिला टैगोर, सिमी ग्रेवाल, अपर्णा सेन, सौमित्र चटर्जी और शुभेंदु चटर्जी जैसे दिग्गज कलाकार हैं। तन्वी द ग्रेट: अनुपम खेर द्वारा निर्देशित फिल्म ‘तन्वी द ग्रेट’ का वर्ल्ड प्रीमियर कान्स फिल्म फेस्टिवल 2025 के ‘मार्चे डू फिल्म’ में होने जा रहा है। इस फिल्म से शुभांगी दत्त बड़े पर्दे पर डेब्यू कर रही हैं। बोमन ईरानी, जैकी श्रॉफ, अरविंद स्वामी, पल्लवी जोशी और करण टैकर फिल्म का हिस्सा हैं।मिट्टी से बनी गुड़िया: यह कोलकाता में सत्यजीत रे फिल्म और टेलीविजन संस्थान के छात्रों द्वारा बनाई गई एक लघु फिल्म है। इसे ‘ला सिनेफे सेक्शन’ के लिए चुना गया है। चरक: शिलादित्य मौलिक द्वारा निर्देशित और सुदीप्तो सेन द्वारा निर्मित यह फिल्म बंगाल की पारंपरिक चरक पूजा और उससे जुड़े अंधविश्वासों, खासकर खुद को जलाने और चोट पहुंचाने जैसे भयावह दृश्यों पर प्रकाश डालती है।
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