Source :- LIVE HINDUSTAN
पाकिस्तान अमेरिकी हलकों में अपने पक्ष को मजबूत करने के लिए लॉबिंग का सहारा ले रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन लॉबिंग प्रयासों का भारत-पाक संबंधों और अमेरिका की नीति पर क्या असर पड़ता है।
भारत के साथ जारी तनाव के बीच पाकिस्तान ने अमेरिका में दो प्रभावशाली लॉबिस्ट फर्मों को हायर किया है, जो सीधे तौर पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी माने जाते हैं। यह कदम अमेरिका में पाकिस्तान की छवि सुधारने और आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देने की कोशिशों का हिस्सा बताया जा रहा है।
इकॉनोमिक टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि पाकिस्तान ने कीथ शिलर और जॉर्ज सोरियल को नियुक्त किया है। जहां कीथ शिलर ट्रंप के पूर्व बॉडीगार्ड हैं, तो वहीं जॉर्ज सोरियल ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन के पूर्व कंप्लायंस चीफ रह चुके हैं। इन दोनों ने हाल ही में पाकिस्तान के साथ अपने करार पर हस्ताक्षर किए हैं। बताया जा रहा है कि ये लॉबिस्ट फर्में अमेरिका सरकार और निजी कंपनियों के साथ पाकिस्तान के संबंधों को बेहतर बनाने के लिए काम करेंगी।
पाकिस्तान का जोर खासतौर पर अमेरिकी कंपनियों को अपने खनन क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रेरित करने पर है, जिसमें तांबा, सोना और लिथियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों का भंडार मौजूद है। पाकिस्तान की इस लॉबिंग गतिविधि का असर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया टिप्पणियों में भी दिखा है, जिनमें उन्होंने भारत और पाकिस्तान को एक समान तराजू में तौला है और पाकिस्तान के साथ व्यापार समझौते की बात कही है।
भारत की प्रतिक्रिया
इस मसले पर जब भारत के विदेश मंत्रालय से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो मंत्रालय के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि अमेरिका में लॉबिंग करना कोई नई बात नहीं है। उन्होंने कहा, “यह कोई नई प्रथा नहीं है। यह कई दशकों से चली आ रही है और 1950 के दशक से अब तक की सभी सरकारों के तहत होती रही है। इन फर्मों को दूतावास द्वारा स्थिति की आवश्यकता के अनुसार नियमित रूप से नियुक्त किया जाता है। सभी प्रकार की नियुक्तियां सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध हैं।”
प्रवक्ता ने यह भी याद दिलाया कि 2007 में भारत-अमेरिका परमाणु समझौते से पहले और बाद में भी भारत ने लॉबिंग फर्मों को अपने पक्ष को मजबूत करने के लिए नियुक्त किया था। उन्होंने यह भी कहा कि वॉशिंगटन डीसी सहित अमेरिका के कई हिस्सों में यह एक आम और स्वीकृत अभ्यास है जिसे दुनिया के लगभग सभी देश अपनाते हैं।
भारत-पाक तनाव का असर
यह कदम तब उठाया गया है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर में 22 अप्रैल को हुए एक आतंकी हमले के बाद तनाव चरम पर है। इस हमले में 26 पर्यटकों की मौत हुई थी, जिसके लिए भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया। इसके जवाब में, भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए गए। पाकिस्तान ने इन हमलों में नागरिकों के हताहत होने का दावा किया, जबकि भारत ने कहा कि केवल आतंकी ठिकाने निशाना बनाए गए। इसके बाद दोनों देशों के बीच मिसाइल और ड्रोन हमलों की तीखी जवाबी कार्रवाई हुई।
ट्रंप का दावा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 10 मई को घोषणा की थी कि भारत और पाकिस्तान ने उनकी मध्यस्थता में “पूर्ण और तत्काल” युद्धविराम पर सहमति जताई है। ट्रंप ने इसे अपनी कूटनीतिक सफलता बताया और कहा कि वह दोनों देशों के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए काम करेंगे। हालांकि, भारत ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि युद्धविराम का फैसला दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों (DGMO) के बीच बातचीत से हुआ, न कि अमेरिकी मध्यस्थता से। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि भारत और अमेरिकी नेताओं के बीच सैन्य स्थिति पर चर्चा हुई थी, लेकिन इसमें व्यापार का कोई जिक्र नहीं था।
पाकिस्तान की रणनीति
पाकिस्तान की इस लॉबिंग रणनीति को ट्रंप प्रशासन पर प्रभाव डालने और भारत के खिलाफ अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान अमेरिका के साथ आर्थिक और कूटनीतिक संबंधों को बेहतर बनाकर क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखना चाहता है, खासकर तब जब भारत ने अमेरिका के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत किया है। पाकिस्तान ने पहले भी 2020 में रिपब्लिकन लॉबिस्ट स्टीफन पायने को नियुक्त किया था, ताकि अमेरिका के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाया जा सके। यह कदम उस समय भी भारत के साथ तनाव और चीन पर निर्भरता के बीच उठाया गया था।
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