Source :- LIVE HINDUSTAN
शेख हसीना पर जबानी हमला करते हुए यूनुस ने बांग्लादेश मुक्ति युद्ध की बात की। उन्होंने 15 साल के अवामी लीग प्रशासन की तुलना 1971 में पाकिस्तानी सेना की सैन्य तानाशाही से की, जिसके कारण लाखों लोग हताहत हुए थे।

बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस और सेना प्रमुख वकार-उज-जमान के बीच खींचतान बढ़ती जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, आर्मी चीफ की ओर से तत्काल बड़ी बैठक बुलाई गई है ताकि भविष्य के ऐक्शन को लेकर प्लान बनाया जा सके। इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि कहीं बांग्लादेश में इमरजेंसी लगने के हालात तो नहीं बन रहे। सूत्रों का कहना है कि सेना प्रमुख यूनुस पर दबाव बना रहे हैं कि जल्द से जल्द चुनाव कराने की घोषणा हो। उनकी सबसे बड़ी चिंता विदेशी हस्तक्षेप के कारण देश में अस्थिरता की आशंका को लेकर है, क्योंकि यूनुस को कुछ लोग विदेशी एजेंसियों का कठपुतली मानते हैं।
सूत्र बताते हैं कि वकार-उज-जमान शेख हसीना और खालिदा जिया की पार्टियों को एकजुट करना चाहते हैं। साथ ही, चुनाव में हिस्सा लेने के लिए उन्हें प्रेरित करना भी उनका मकसद है। इस बीच, यूनुस सरकार के कार्यकारी आदेशों के जरिए कैदियों की रिहाई ने भी सेना के लिए चिंता खड़ी कर दी है। न्यूज-18 की रिपोर्ट के मुताबिक, पहले भी सेना प्रमुख के करीबी सूत्रों ने बताया था कि बांग्लादेश सेना वकार-उज-जमान के साथ पूरी तरह एकजुट है। दूसरी ओर, यूनुस की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) की नियुक्ति ने सेना में विभाजन की आशंका बढ़ा दी है। खास बात है कि यह नियुक्ति सेना प्रमुख की अनुपस्थिति में की गई थी।
युनूस और जमान के बीच किन मुद्दों पर मतभेद
जनरल जमान ने सशस्त्र बल डिवीजन के प्रिंसिपल स्टाफ अफसर लेफ्टिनेंट जनरल कमरुल हसन को बर्खास्त करने का प्रयास किया था, जिसे यूनुस ने रोक दिया। यह घटना सत्ता के नियंत्रण और प्रभाव को लेकर दोनों पक्षों के बीच तनाव का प्रतीक बन गई। यूनुस की सरकार को लेकर सेना का मानना है कि वह देश में कानून-व्यवस्था को प्रभावी ढंग से नियंत्रित नहीं कर पा रही, जिससे सेना के भीतर असंतोष बढ़ रहा है। यूनुस की विदेश नीति और क्षेत्रीय रुख ने भी टकराव को बढ़ावा दिया है। खासकर, उनकी सरकार के पाकिस्तान और चीन के साथ बढ़ती निकटता ने सेना प्रमुख को चिंतित किया है।
जनरल वकार-उज-जमान वैचारिक रूप से मध्यमार्गी माने जाते हैं, उन्हें लगता है कि यूनुस की नीतियां देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं। मालूम हो कि यूनुस ने चीन के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को ‘लैंडलॉक्ड’ बताते हुए विवादास्पद बयान दिया था, जिससे भारत के साथ संबंधों में तनाव आया। इसके अलावा, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के हस्तक्षेप और यूनुस सरकार के कुछ अधिकारियों के साथ उनकी मुलाकातों ने अविश्वास को और गहरा कर दिया।
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