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पाक से लेकर तुर्की तक, भारत विरोधियों के साथ क्या खिचड़ी पका रहे ट्रंप? करीबी की यात्रा से उठे सवाल

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Source :- LIVE HINDUSTAN

डोनाल्ड ट्रंप और उनके करीबियों की गतिविधियां अब दक्षिण एशिया में नए खेल की ओर इशारा कर रही हैं। भारत इन घटनाक्रमों पर करीब से नजर रख रहा है, क्योंकि ये क्षेत्रीय सुरक्षा पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का पाकिस्तान के प्रति झुकाव अब केवल क्रिप्टोकरेंसी प्रोजेक्ट तक सीमित नहीं रहा है। अब सामने आया है कि डोनाल्ड ट्रंप के बेटे ट्रंप जूनियर के कॉलेज मित्र और शिकारी साथी जेंट्री बीच ने जनवरी में पाकिस्तान का दौरा किया था, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनके मंत्रियों के साथ कई मुलाकातें कीं। पाक के अलावा, वे बांग्लादेश और फिर तुर्किये भी गए। ये मुलाकातें ट्रंप के दूसरी बार राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के 10 दिन बाद यानी 30 जनवरी को हुई थीं।

खासबात ये है कि जेंट्री बीच की यह यात्रा केवल पाकिस्तान तक सीमित नहीं थी, उन्होंने इसके बाद बांग्लादेश और तुर्किये का भी दौरा किया और लौटकर ट्रंप को फ्लोरिडा के मार-ए-लागो में सारी जानकारी दी। जेंट्री बीच खुद को ‘ट्रंप एसोसिएट’ के रूप में पेश करते हैं। उन्होंने पाकिस्तान को “अद्भुत जगह” बताते हुए अरबों डॉलर की संभावित डील्स की जानकारी दी। इसमें रेयर अर्थ मिनरल्स, तेल व गैस और रियल एस्टेट क्षेत्र शामिल हैं। उनकी यह गतिविधियां भारत के लिए चिंता का विषय बन सकती हैं, क्योंकि ये देश भारत के साथ जटिल भू-राजनीतिक संबंध रखते हैं।

पाकिस्तान में गर्मजोशी से स्वागत

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी में इस्लामाबाद में शहबाज शरीफ ने जेंट्री बीच का स्वागत किया, इस मुलाकात में पाकिस्तान के वित्त और विदेश मंत्री भी मौजूद थे। बाद में 11 फरवरी को दुबई में वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट के दौरान एक और बैठक हुई। दिलचस्प बात यह है कि जेंट्री बीच एक ऐसा चेहरा था जिसे प्रधानमंत्री के ट्विटर हैंडल @PakPMO पर अन्य विदेशी नेताओं के साथ शेयर की गई तस्वीरों में प्रमुखता नहीं दी गई, जबकि दो महत्वपूर्ण मुलाकातें हुईं।

शहबाज को अरबों के निवेश का वादा

गेंट्री बीच ने शहबाज शरीफ से मुलाकात के दौरान अपनी कंपनी व्हाइट ब्रिज ग्लोबल के माध्यम से अरबों डॉलर के निवेश का वादा किया। बीच ने पाकिस्तानी कंपनी एपेक्स एनर्जी के साथ एक समझौता किया, जिसके तहत सिंधु नदी के पास अटक में प्लेसर गोल्ड (सोने की तलछट) के खनन और विकास की योजना है। स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, इस सोने के भंडार की कीमत 50 ट्रिलियन डॉलर आंकी गई है। इसके अलावा, गेंट्री बीच ने महत्वपूर्ण खनिजों के संयुक्त खनन की संभावनाओं पर भी चर्चा की, जिससे पाकिस्तान को अमेरिकी रक्षा विभाग के ‘ट्रस्टेड पार्टनर प्रोग्राम’ में शामिल होने का मौका मिल सकता है। यह दौरा पाकिस्तान के विशेष निवेश सुविधा परिषद (एसआईएफसी) के माध्यम से आयोजित किया गया था, जिसमें पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं

बांग्लादेश और तुर्किये में भी सक्रिय

29 जनवरी को जेंट्री बीच ने बांग्लादेश के प्रमुख सलाहकार मुहम्मद यूनुस से मुलाकात की और ढाका को तेल, गैस, रक्षा और रियल एस्टेट में बड़े विदेशी निवेश का वादा किया। उन्होंने अपनी दूसरी कंपनी हाईग्राउंड होल्डिंग्स के माध्यम से बांग्लादेश के खनिज और ऊर्जा क्षेत्रों में निवेश करने में रुचि दिखाई। बांग्लादेश निवेश विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ उनकी बैठकें इस क्षेत्र में व्यापारिक सहयोग बढ़ाने की दिशा में एक कदम मानी जा रही हैं।

बीच ने अपनी यात्रा को तुर्की में समाप्त किया, जहां उनकी कंपनी व्हाइट ब्रिज ग्लोबल ने तुर्की की फर्म टेरा होल्डिंग्स के साथ दुबई में 50-50 संयुक्त उद्यम स्थापित करने के लिए एक समझौता किया। तुर्किये में उन्होंने कहा कि वह चीन की जगह इस देश को अगला ‘फैक्टरी ऑफ द वर्ल्ड’ बनाना चाहते हैं। यह सौदा भारत के लिए चिंताजनक हो सकता है, क्योंकि यह तुर्की, पाकिस्तान और बांग्लादेश के नए शासन को जोड़ने वाला एक रणनीतिक गठजोड़ बनाता है।

ट्रंप परिवार की भूमिका और विवाद

जेंट्री बीच ट्रंप जूनियर के नजदीकी हैं और 2016 के चुनावों के लिए उन्होंने करोड़ों डॉलर जुटाने में मदद की थी। 2018 में द गार्जियन ने रिपोर्ट किया था कि कैसे उन्होंने व्हाइट हाउस तक पहुंच बना ली थी और वेनेज़ुएला पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों को कम करने के लिए लॉबिंग की थी ताकि अमेरिकी कंपनियां वहां व्यापार कर सकें। अब वही कहानी पाकिस्तान, बांग्लादेश और तुर्किये में दोहराई जा रही है- जहां ट्रंप के साथी सौदेबाजी कर रहे हैं, पर राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं की अनदेखी हो रही है।

क्रिप्टो डील और पाकिस्तानी सेना की संलिप्तता

15 मई को टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि कैसे ट्रंप परिवार का क्रिप्टो प्रोजेक्ट वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल पाकिस्तान के साथ एक डील के केंद्र में है। यह प्रोजेक्ट पाकिस्तान को दक्षिण एशिया की क्रिप्टो राजधानी बनाने के लक्ष्य से शुरू की गई है। इसके लिए ‘पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिंल’ का गठन किया गया, जिसने बाइनेंस के संस्थापक चांगपेंग झाओ को सलाहकार नियुक्त किया।

वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल के प्रतिनिधिमंडल में ट्रंप के गोल्फ साथी स्टीव विटकॉफ के बेटे जैकरी विटकॉफ और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। इन्हें इस्लामाबाद में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से भी समर्थन मिला। ठीक इसके बाद ही कश्मीर के पहलगाम में धार्मिक पहचान के आधार पर पर्यटकों की हत्या की गई, जिसपर सेना प्रमुख की भूमिका को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।

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पारिवारिक हितों की पड़ताल

वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल में डोनाल्ड ट्रंप जूनियर, एरिक ट्रंप और उनके बहनोई जेरेड कुश्नर की हिस्सेदारी है। ये सभी हाल के वर्षों में कई देशों में निजी व्यावसायिक सौदों की तलाश में सक्रिय रहे हैं और उन पर व्हाइट हाउस से मिले संपर्कों का लाभ उठाने के आरोप लगे हैं।

जेंट्री बीच की इन गतिविधियों ने भारत में कई सवाल खड़े किए हैं, खासकर ऑपरेशन सिंदूर के बाद, जिसमें भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में आतंकी शिविरों पर सटीक हमले किए थे। ट्रंप के इस संकट के दौरान भारत और पाकिस्तान के प्रति तटस्थ रुख ने भी भारत में भौंहें चढ़ा दी थीं। बीच और ट्रंप जूनियर का रिश्ता पुराना है; दोनों 1990 के दशक में पेनसिल्वेनिया के व्हार्टन स्कूल ऑफ बिजनेस में एक साथ पढ़े थे। बीच की इन व्यापारिक गतिविधियों को भारत एक बड़े भू-राजनीतिक खेल के हिस्से के रूप में देख रहा है। खासकर तब, जब ट्रंप ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान संघर्ष में मध्यस्थता की पेशकश की थी, जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया था। भारत ने स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर से संबंधित कोई भी मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय रूप से हल किया जाएगा।

SOURCE : LIVE HINDUSTAN