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पाकिस्तान से PoK को वापस लेने के लिए भारत को क्या करना होगा? पूर्व DGMO अनिल भट्ट ने बताया

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Source :- Khabar Indiatv

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पूर्व DGMO अनिल भट्ट

भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले हफ्ते युद्ध जैसे हालात बन गए थे। दोनों ओर से हवाई हमले किए गए। भारत ने पाकिस्तान के कई आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। साथ ही पाकिस्तान के कई एयरबेस को भी ध्वस्त कर दिया। दोनों देशों के संघर्ष के बीच पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) का मुद्दा भी भारत में ट्रेंड करने लगा। इस पर अब भारतीय सेना में पूर्व सैन्य अभियान महानिदेशक (DGMO) रह चुके अनिल भट्ट का बयान सामने आया है। 

डोकलाम संकट के समय निभाई थी DGMO की जिम्मेदारी

डोकलाम संकट के समय सैन्य अभियान महानिदेशक (DGMO) का दायित्व संभाल चुके एक पूर्व सैन्य अधिकारी भट्ट ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के कारण आधुनिक युद्ध कौशल में ड्रोन के महत्व को स्पष्ट रूप से सामने आया है, जो अंतरिक्ष और साइबरस्पेस के साथ मिलकर भविष्य के सैन्य संघर्षों में नए प्रतिमान जोड़ेगा।

भारत के पास PoK को वापस लेने का अवसर था

सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल कुमार भट्ट ने गुरुवार को पीटीआई को दिए साक्षात्कार के दौरान सोशल मीडिया पर उन कई युद्ध समर्थकों के सुझावों पर नाराजगी भी व्यक्त की, जो 4 दिन में संघर्ष समाप्त होने से नाखुश थे। सोशल मीडिया पर लोग कह रहे थे कि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस पाने का एक अवसर था। सोशल मीडिया यूजर्स कह रहे थे कि ये युद्ध अंतिम विकल्प होना चाहिए और युद्ध नहीं छेड़ा जाना चाहिए, क्योंकि भारत ने अपने रणनीतिक लक्ष्यों को हासिल कर लिया है। 

पहले से करना होगा तय- पूर्व डीजीएमओ

जून 2020 में सेवानिवृत्ति के बाद देश में निजी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्षेत्र के विकास के संबंध में मार्गदर्शन कर रहे भट्ट ने कहा, ‘युद्ध अथवा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस लिया जाने (का काम), सब पहले से तय करना होगा। इस बार ऐसी योजना नहीं बनाई गई थी। हां, अगर मामला उस स्तर तक पहुंचता तो भारतीय सेना उसके लिए तैयार थी।’ 

तीनों सेना प्रमुख को रिपोर्ट करते हैं डीजीएमओ

डीजीएमओ के रूप में भट्ट सैन्य पदानुक्रम में सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों में से एक थे, जिनका काम यह सुनिश्चित करना था कि सशस्त्र बल हर समय अभियान के लिए तैयार रहें। डीजीएमओ सेना प्रमुख को सीधे रिपोर्ट करते हैं और तात्कालिक व दीर्घकालिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीति बनाने में शामिल होते हैं। साथ ही वायुसेना और नौसेना के साथ-साथ नागरिक व अर्धसैनिक सुरक्षा बलों के साथ समन्वय भी करते हैं। 

अनिल भट्ट 2017 में थे डीजीएमओ

संकट और तनाव बढ़ने के समय में, दूसरे देश के डीजीएमओ से संवाद करने की जिम्मेदारी डीजीएमओ की होती है। वर्तमान में डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई हैं। भट्ट 2017 में डीजीएमओ थे, जब भारत का वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के सिक्किम सेक्टर के पास डोकलाम में चीन के साथ 73 दिन तक सैन्य गतिरोध चला था। 

युद्ध एक गंभीर मामला

सेना में 38 साल तक सेवाएं देने वाले भट्ट ने कहा, ‘इसलिए मैं अपने सभी देशवासियों से यही कहूंगा कि युद्ध एक गंभीर मामला है। बहुत-बहुत गंभीर मामला। और कोई राष्ट्र तब युद्ध के लिए तैयार होता है, जब सभी संभावित विकल्प खत्म हो जाते हैं। हमारे पास (वर्तमान संकट के दौरान) युद्ध से पहले इस्तेमाल किए जाने वाले कई विकल्प थे और हमने समझदारी दिखाई।’ 

ड्रोन ने युद्ध में एक नया प्रतिमान स्थापित किया

पूर्व डीजीएमओ भट्ट ने कहा कि थलसेना, वायुसेना और नौसेना के बीच समन्वय बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि आजकल युद्ध केवल एक क्षेत्र में नहीं बल्कि कई मोर्चों पर लड़े जा रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि हालिया संघर्ष में ड्रोन कितने महत्वपूर्ण थे, तो उन्होंने कहा कि ड्रोन ने युद्ध में पूरी तरह से एक नया प्रतिमान स्थापित किया है और दुनियाभर की सेनाओं ने इस पर तब ध्यान केंद्रित करना शुरू किया जब ड्रोनों ने अच्छी तरह से सशस्त्र आर्मीनिया के खिलाफ लगभग हारी हुई लड़ाई जीतने में आजरबैजान की भरपूर मदद की। ये ड्रोन तुर्की में बने थे। तुर्की ने पाकिस्तान को भी ड्रोन की आपूर्ति की थी। (भाषा के इनपुट के साथ)

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