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टेनिस चैंपियंस तैयार करने के लिए भारत को चीन और यूरोप से क्या सबक लेने चाहिए

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Source :- BBC INDIA

ऑस्ट्रेलिया ओपन

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‘भारतीय टेनिस की मौजूदा स्थिति बहुत बेहतर हो सकती थी.’

पुरुष डबल्स में पहली रैंकिंग पर रह चुके महेश भूपति और भारत के डेविस कप कैप्टन रोहित राजपाल ये बात भारतीय टेनिस की पिछले एक दशक में हुई चीजों पर गौर करते हुए कहते हैं.

वर्ल्ड रैंकिंग भले ही इसकी पूरी तस्वीर नहीं पेश करती हो, लेकिन इससे कई महत्वपूर्ण चीजों का पता तो चल ही जाता है. इस समय टॉप एटीपी-450 मेन्स सिंगल्स रैंकिंग में मात्र एक खिलाड़ी सुमित नागपाल 165वें नंबर पर हैं और टॉप 100 तो दूर की बात है.

इसकी गहराई में जाएं तो काफी चीजें पता चलती हैं. टेनिस के अग्रणी देशों में शामिल अमेरिका और फ्रांस के 10-10 खिलाड़ी टॉप 100 में हैं. वहीं, इटली के नौ, ऑस्ट्रेलिया के आठ और स्पेन के सात खिलाड़ी इसमें शामिल हैं.

वहीं भारत की अगर बात करें तो रमेश कृष्णन अंतिम खिलाड़ी थे जिन्होंने मेन्स सिंगल्स के टॉप-25 में जगह बनाई थी. जनवरी 1985 में उनकी 23वीं रैंक थी. इस बात को 40 साल बीत चुके हैं.

सानिया मिर्ज़ा

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भारतीय महिला टेनिस को ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाली सानिया मिर्ज़ा 2007 में डब्ल्यूटीए सिंगल्स रैंकिंग में 27वें स्थान पर थीं. यह किसी भी भारतीय महिला खिलाड़ी की टॉप रैंकिंग थी.

इसके बाद 2015 में वह डबल्स रैंकिंग के शीर्ष पर थीं. उन्होंने अपने करियर में छह ग्रैंड स्लैम खिताब जीते. इसमें तीन डबल्स और तीन मिक्स्ड खिताब शामिल हैं.

इस समय कोई भारतीय महिला खिलाड़ी डब्ल्यूटीए की टॉप 300 रैंकिंग में भी नहीं है. भारत की अंकिता रैना 304वें स्थान पर हैं.

हालांकि एक सप्ताह पहले ही भारतीय महिला टीम ने 2025 बिली जीन किंग कप (बीजेके कप) एशिया ओशिनिया ग्रुप-1 में दक्षिण कोरिया को 2-1 से हराकर प्लेऑफ़ में अपनी जगह पक्की करते हुए शानदार प्रदर्शन किया था.

ऑल इंडिया टेनिस एसोसिएशन (एआईटीए) को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए.

“भारत में नहीं है चैंपियंस तैयार करने का सिस्टम”

सहजा यमलापल्ली

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श्रीवल्ली भामिदीपति, जिन्होंने बीजेके कप में अपने सभी पांच मैच जीते, सहजा यमलापल्ली और माया राजेश्वरन जैसे युवा खिलाड़ियों के लिए अगले तीन चार वर्षों की योजना बनाकर सहायता की जानी चाहिए. चैंपियन्स बनाने के लिए खेलों में इस अच्छे मौके का इस्तेमाल होना चाहिए.

टेनिस में 12 ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने वाले भूपति कहते हैं, “हमारे पास भारत में चैंपियन्स तैयार करने का सिस्टम नहीं है. मैं उस तरह के सिस्टम की बात कर रहा हूं जो अमेरिका, फ़्रांस और स्पेन में है. यह सिस्टम खेल के ज़मीनी स्तर तक पहुंचता है.”

महेश यह बात स्पष्ट तरीके से कहते हैं कि आपको चैंपियन्स तैयार करने के लिए एक सिस्टम की ज़रूरत होती है, इस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है.

रोहित भी इस बात पर सहमति जताते हुए कहते हैं, “जो कुछ भी है उसमें बदलाव लाने और अधिक वैज्ञानिक बनाने की ज़रूरत है. भारत में टेनिस की पहचान अमीर लोगों के खेल के रूप में है. वास्तव में यह खिलाड़ी के विकास कार्यक्रम में कमी है.”

“आज के समय में जहां भी विकास कार्यक्रम और सुविधाओं में कमी होती है, वहां खेल पिछड़ जाता है. इसी वजह से भारतीय टेनिस को वर्ल्ड क्लास बनाने के लिए हमें बेहतर सुविधाएं और सिस्टम की ज़रूरत है.”

अमेरिका का मजबूत सिस्टम

रमेश कृष्णन

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द यूनाइटेड स्टेट्स टेनिस एसोसिएशन (यूएसटीए) का जूनियर कार्यक्रम देश में टेनिस के खेल को जीवंत बनाए रखने के उद्देश्य से तैयार किया गया है.

इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम में सालाना एक लाख 80 हज़ार बच्चों को जोड़ा जाता है.

प्रत्येक चैप्टर इन बच्चों को नि:शुल्क या फिर बहुत कम शुल्क पर ट्रेनिंग करवाते हैं.

महेश इस बात पर जोर देते हुए कहते हैं, “यह ज़रूरी है कि एक लाख बच्चे टेनिस खेलें. किसी भी खेल में एक चैंपियन तैयार करने के लिए एक मज़बूत नींव की ज़रूरत होती है. खिलाड़ी 15 या 17 साल की उम्र में नहीं बनते. इसकी नींव तो आठ साल की उम्र में ही रखनी पड़ती है. फिर चाहे वो नीरज चोपड़ा हों, पीवी सिंधु हों या फिर रोज़र फ़ेडरर. हमारे देश की खेल व्यवस्था में कई खामियां हैं.”

लिएंडर पेस के पूर्व कोच त्यागराजन चंद्रशेखरन भी इस बात का समर्थन करते हुए कहते हैं, “हमें ज़मीनी स्तर पर एक मज़बूत कार्यक्रम की ज़रूरत है, जिसके तहत एक केंद्रित कार्यक्रम के माध्यम से हज़ारों बच्चों को ट्रेनिंग मिल सके.”

यूएसटीए जूनियर टूर्नामेंट्स को सात स्तरों में विभाजित किया हुआ है. यहां सबसे निचले स्तर लेवल-7 में प्रतिस्पर्धात्मक प्रतियोगिताएं होती हैं. वहीं लेवल-1 देश के बेस्ट जूनियर खिलाड़ियों के लिए राष्ट्रीय चैंपियनशिप का मंच देता है.

मौजूदा व्यवस्था पर निराशा जताते हुए भूपति सवाल करते हैं, “तंत्र कहां है, टूर्नामेंट्स कहां हैं?, प्रतियोगिताएं कहां है? वहीं अमेरिका में चाहे आप किसी भी स्तर पर हों, वहां के खिलाड़ी आप से बेहतर होते हैं.”

महेश भूपति का बयान

स्पेन की सफलता का राज

राफा नडाल टेनिस एकेडमी

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स्पेन चार करोड़ 90 लाख की आबादी वाला एक छोटा सा देश है.

इसका जूनियर टेनिस का कार्यक्रम दुनिया के सबसे बेहतरीन कार्यक्रमों में से एक है. इसे पांच आयु वर्गों में बांटा गया है, जो अंडर 10 से लेकर अंडर 18 तक है.

स्पेन 2025 में 28 जूनियर आईटीएफ़ टूर्नामेंट्स करा रहा है. बार्सिलोना स्थानीय स्तर पर अकेले नौ जूनियर लेवल की प्रतियोगिताएं करा रहा है. वहीं भारत 10 जूनियर आईटीएफ़ टूर्नामेंट का आयोजन कर रहा है.

एक आंकलन के मुताबिक स्पेन में 5,725 टेनिस कोर्ट हैं जबकि भारत में करीब 3,300 कोर्ट हैं.

इसके अलावा स्पेन दुनिया के सबसे बेहतरीन टेनिस अकादमी का गढ़ है. इसमें राफा नडाल टेनिस एकेडमी, जेसी फेरेरो इक्वेलिट स्पोर्ट्स एकेडमी और सांचेज़ कासल एकेडमी शामिल है.

2017 में दुनिया में आठवीं रैंकिंग के ख़िलाड़ी डोमिनिक थिएम को हराने वाले रामकुमार रामनाथन कहते हैं, “स्पेन में, जहां मैंने ट्रेनिंग ली (सांचेज़-कसाल अकादमी) वहां ज़्यादातर कोच पूर्व खिलाड़ी होते हैं जैसे एमिलियो सांचेज़ और जुआन कार्लोस फेरेरो, जो अपने समय के टॉप लेवल के खिलाड़ी थे. इसलिए वह पूरी तरह से जानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुक़ाबले में किस तरह की उत्कृष्टता की ज़रूरत होती है.

चीन की खेल योजना

चीन की झेंग किनवेन

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चीन में टेनिस के विकास का हवाला देते हुए एआईटीए के कोषाध्यक्ष रोहित कहते हैं, “पिछले कुछ वर्षों में चीन ने अच्छा प्रदर्शन किया है. उनकी महिला खिलाड़ी बेहतरीन खेल रही हैं और पुरुष सिंगल्स में भी उनके खिलाड़ी टॉप-100 रैंकिंग में हैं.”

“उनके पास खिलाड़ियों के विकास के लिए एक बेहतरीन विकास कार्यक्रम है. इसमें खिलाड़ियों, कोच, फिजियो और उनकी यात्रा पर पैसा खर्च किया जा रहा है. वह बड़ी संख्या में प्रतियोगिताएं करा रहा है. यह उनके खिलाड़ियों के विकास में काफी मददगार साबित हो रहा है.”

विश्व रैंकिंग पर एक नजर डालें तो पता चलता है कि चीन की आठ महिला खिलाड़ी डब्ल्यूटीए वीमेंस सिंगल्स की टॉप-200 रैंकिंग में शामिल हैं. इसमें झेंग किनवेन वर्ल्ड नंबर 8 पर हैं.

वहीं उनके तीन पुरुष खिलाड़ी एटीपी मेन्स सिंगल्स रैंकिंग में टॉप-100 में शामिल हैं.

भारत ने बदली रणनीति

सुमित नागपाल

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इंडियन टेनिस फ़ेडरेशन ने फिर से अपनी रणनीति में बदलाव किया है और खिलाड़ियों के लिए एक जूनियर विकास कार्यक्रम पर काम कर रहा है.

रोहित बताते हैं, “एआईटीए में हम एक योजना पर काम कर रहे हैं. इसमें हमारे खिलाड़ी छह महीने यूरोपीय इकोसिस्टम में क्ले कोर्ट पर अभ्यास करेंगे और खेलेंगे. ये​ खिलाड़ी या तो राफा नडाल एकेडमी में या फिर वहां के किसी अन्य एकेडमी में खेलेंगे और बाकी छह महीने वह देश में खेलेंगे. राफा एकेडमी से हमारी बातचीत चल रही है और उम्मीद है जल्द ही इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे.”

एआईटीए ने 2025 के पहले तिमाही में 13 प्रतियोगिताएं कराई हैं. इसमें चार चैलेंजर्स और एक डब्ल्यूटीए 125 इवेंट शामिल है. साल भर आईटीएफ़, एटीपी और डब्ल्यूटीए प्रतियोगिताओं की मेज़बानी करना अपने खिलाड़ियों को देश के भीतर अंतरराष्ट्रीय स्तर का माहौल देने का एक तरीका है.

चैलेंजर टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के लिए बुसान गए रामकुमार ने बीबीसी को बताया, “अगर वह सीजन के दूसरे हिस्से में कुछ और प्रतियोगिताएं जोड़ सकें तो अच्छा होगा. रोहन बोपन्ना के डबल्स पार्टनर बेन शेल्टन कह रहे थे कि वह बिना अमेरिका छोड़े टॉप-100 सिंगल्स के खिलाड़ी बने थे. उनके पास अमेरिका में ही बहुत टूर्नामेंट्स हैं. हमारे पास भी अगर ऐसा सर्किट हो तो यह बहुत अच्छा होगा.”

अंकिता रैना

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खेल व्यवस्था में मौजूदा व्यवस्थागत खामियों की वजह से ही शायद भारत के दो प्रतिभावान खिलाड़ी 17 वर्षीय मानस धामने और 15 वर्षीय माया राजेश्वरन रेवती को सर्किट में मुकाबले खेलने और ट्रेनिंग के लिए यूरोप जाना पड़ा.

मानस रिकार्डो पियाती की एकेडमी में ट्रेनिंग ले रहे हैं. जिन्होंने नोवाक जोकोविच और यानिक सिन्नर जैसे खिलाड़ियों को कोचिंग दी है.

वहीं, माया ने हाल ही में राफा नडाल एकेडमी में एक साल की स्कॉलरशिप पर प्रवेश लिया है.

रोहित कहते हैं, “हमारे खिलाड़ियों की एक भौगोलिक दिक्कत भी है, क्योंकि अधिकांश टूर्नामेंट्स अमेरिका और यूरोप में होते हैं. उन्हें हर सप्ताह दुनिया भर में यात्रा करनी पड़ती है. यह काफी महंगा होता है.”

“हालांकि, हम इसे बदलने की योजना बना रहे हैं. हमें एक ऐसा कार्यक्रम बनाना होगा जिसमें हम खिलाड़ियों को समूहों में प्रशिक्षित करके उन्हें एक साथ यात्रा कराएं और इस तरह से हमारी बेंच स्ट्रेंथ विकसित होगी. “

सबसे बड़ी बाधा

भारतीय टेनिस

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भारतीय टेनिस हमेशा से ही वित्तीय संकट से जूझता रहा है, जिससे अतीत में कई प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का करियर तक ख़त्म हो गया.

रोहित कहते हैं, “भारतीय टेनिस में हमारे लिए सबसे बड़ी समस्या पैसा है. इसे हल करने के लिए खेल मंत्रालय ने एक विभाग बनाया है जो एक योजना पर काम कर रहा है. इसमें या तो एक कॉर्पोरेट हाउस या एक राज्य सरकार किसी खेल को अपनाएगी, यदि यह योजना जल्दी काम करती है, तो विकास की गति बहुत तेज़ हो जाएगी.”

निवेश के लिए एक और क्षेत्र है, वो है स्पोर्ट्स साइंस सेंटर, जहां खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया जा सके, चोटों से उबरने और पुनर्वास की प्रक्रिया को पूरा किया जा सके. भारतीय क्रिकेट ने इस दिशा में बेंगलुरु स्थित अपनी

राष्ट्रीय क्रिकेट एकेडमी में एक विश्व स्तरीय स्पोर्ट्स साइंस सेंटर में निवेश करके एक दिशा दिखाई है.

महेश भूपति कहते हैं, “ये बहुत सारी चीजों में से एक है. एक चैंपियन तैयार करने के लिए आपको कई चीजें करनी होती हैं. मान लीजिए, चैंपियन बनाने के लिए 25 चीजें जरूरी हैं और अगर आप केवल 23 चीजें करते हैं तो आप चैंपियन नहीं बना पाएंगे. ये उतनी ही वैज्ञानिक बात है.”

ट्रेनर्स को ट्रेनिंग

भारतीय कोच

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एक और चीज भी है जिस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता – वो हैं कोच.

भारतीय टेनिस को ऐसे कोचों की ज़रूरत है जो प्रशिक्षण के आधुनिक तरीकों की समझ रखते हों, जिसमें खेल विज्ञान और योग का महत्व भी शामिल हो, ताकि प्रतिभाशाली बच्चों को चैंपियन बनाया जा सके.

टेनिस प्रशासन को अपने सभी वरिष्ठ प्रशिक्षकों और पूर्व खिलाड़ियों को एक साथ लाकर देश भर में अपनाई जाने वाली वैज्ञानिक और यूनिवर्सल कोचिंग कोड तैयार करनी चाहिए. जिसे पूरे देश में अपनाया जा सके.

इसके अलावा हमें एक काम करना चाहिए वो है कोलैबोरेशन (साथ आना). राफा नडाल टेनिस एकेडमी, जेसी फेरेरो इक्वेलीट स्पोर्ट्स एकेडमी, लोबरो यूनिवर्सिटी और बिहार स्कूल ऑफ़ योग जैसे जगहों के साथ कोलैबोरेशन करना ताकि कोचों को टेनिस, स्पोर्ट्स साइंस और योग में व्यापक ट्रेनिंग मिल सके.

रामकुमार ने भारतीय कोचों पर विश्वास जताया है लेकिन वो भी ‘ट्रेनिंग द ट्रेनर्स’ कार्यक्रम की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त करते हैं. रामकुमार कहते हैं, “भारतीय कोच काफी ज्ञानवान हैं, लेकिन उन्हें और अधिक ट्रेनिंग मिलती है तो यह एक बेहतरीन कदम होगा. इससे भारत में कोचिंग को अगले स्तर तक पहुँचाया जा सकेगा.

एक व्यापक जूनियर प्रशिक्षण कार्यक्रम की आवश्यकता के बारे में बात करते हुए चंद्रशेखरन ने कहा, “जूनियर टेनिस कोचिंग तीन श्रेणियों पर केंद्रित होना चाहिए. पहला, सभी प्रमुख जूनियर खिलाड़ियों के लिए एक गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम होना चाहिए, जैसे कि आर्यन शाह, करण सिंह, मानस धामने और माया राजेश्वरन. दूसरा, 10 से 14 साल के बच्चों के लिए एक कार्यक्रम होना चाहिए और आखिरी में अंडर-10 बच्चों के लिए एक मजबूत नींव तैयार करने का प्रशिक्षण कार्यक्रम होना चाहिए.

टेनिस प्रशासन का अपनी रणनीति पर विचार का इरादा सकारात्मक संकेत देता है. ये हो सकता है कि उनके पास समय का साथ न हो लेकिन उम्मीद है कि इतिहास उनके साथ होगा.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

SOURCE : BBC NEWS