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क्या शिपिंग इंडस्ट्री का भविष्य हैं इलेक्ट्रिक मोटर?

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Source :- LIVE HINDUSTAN

दुनिया भर में जहाजों के लिए इलेक्ट्रिक बैटरी का इस्तेमाल बढ़ रहा है, जिससे ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम हो रहा है। जर्मनी में, डीजल इंजन को इलेक्ट्रिक में बदला जा रहा है, जिससे रखरखाव कम होता है और…

दुनिया भर के जहाजों में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने के लिए इलेक्ट्रिक बैटरी से चलने वाले मोटरों का इस्तेमाल बढ़ रहा है.हालांकि, जब बात महासागरों को पार करने की आती है, तो यह इतना आसान नहीं है.पहले, राइन नदी पार करने में मोंडॉर्फ फेरी को दो मिनट लगते थे और इस दौरान बहुत सारा काला धुआं निकलता था.इंजन से लगातार तेज आवाज आती रहती थी.हालांकि, अब फरवरी से फेरी के डीजल इंजन को पूरी तरह से बिजली से चलने वाले इंजन से बदल दिया गया है.अब इस जहाज को हर दिन 14 घंटे चलाने के लिए, 1,000 किलोवॉट प्रति घंटे वाली बैटरी की जरूरत होती है, जो लगभग 14 इलेक्ट्रिक कारों की बैटरी के बराबर है.रात में घाट पर खड़े रहने के दौरान जहाज की बैटरी को अक्षय ऊर्जा से रिचार्ज किया जाता है.60 साल पुराने इस जहाज को अक्षय ऊर्जा से चलाने लायक बनाना इसलिए मुमकिन हो पाया है, क्योंकि सरकार से पैसे मिले.इससे 80 फीसदी तक का खर्चा कवर हो गया.जहाज निर्माण कंपनी लुक्स वेर्फ्ट उंड शिफफार्ट के प्रबंध निदेशक अल्मर मेबैक-ओडेकोवेन ने कहा, “सब्सिडी के बिना, यह काफी महंगा पड़ता” उनकी कंपनी पहले ही लगभग 20 यात्री जहाजों को इलेक्ट्रिक इंजन से चलने वाले जहाज में बदल चुकी है.इनमें से कई जहाज बॉन और उसके आसपास राइन नदी में चलाए जाते हैं.डीजल इंजन की तुलना में इलेक्ट्रिक मोटर को कम रखरखाव की आवश्यकता होती है.मेबैक-ओडेकोवेन कहते हैं, “इसलिए, जर्मनी में बिजली की ज्यादा कीमतों के बावजूद, बैटरी पर जहाज को चलाना संभवतः लंबे समय में सस्ता पड़ेगा”कंपनी की ऑपरेशन मैनेजर इंगो श्नाइडर-लुक्स कहती हैं, “और यह एकमात्र पर्यावरणीय लाभ नहीं है.इलेक्ट्रिक मोटर का मतलब है कि जहाज पर कोई ज्वलनशील डीजल नहीं है यानी ईंधन भरते समय रिसाव का कोई खतरा नहीं है.यह तकनीक सरल और सुरक्षित है”श्नाइडर लुक्स ने डीडब्ल्यू को बताया कि जर्मनी की झीलों और नदियों में चलने वाली फेरी और यात्री जहाजों को तेजी से इलेक्ट्रिक बनाया जा रहा है.यह रुझान पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है.नॉर्वे के गैर-लाभकारी संगठन “मैरीटाइम बैटरी फोरम” के एक अनुमान से पता चलता है कि 1,000 से ज्यादा जहाज पहले से ही पूरी तरह से इलेक्ट्रिक या हाइब्रिड इंजन के साथ चल रहे हैं.कम से कम 460 अन्य इलेक्ट्रिक जहाजों का निर्माण किया जा रहा है.

इलेक्ट्रिक जहाजों के मामले में सबसे आगे है नॉर्वेजब बैटरी से चलने वाले जहाजों की बात आती है, तो नॉर्वे दुनिया में सबसे आगे है.पिछले दस सालों में, यहां की सरकार ने जहाजों के लिए कड़े नियम बनाए हैं और बिजली से जहाज को चलाने वाली तकनीक विकसित करने में मदद की है.यह तकनीक फेरी, मालवाहक जहाज, मछली पकड़ने वाली नाव, क्रूज जहाज और समुद्री उद्योगों के रखरखाव करने वाले जहाजों के लिए है.भविष्य में, ये सीधे समुद्र में लगी पवन टरबाइन से भी रिचार्ज हो सकेंगे.यह सब नॉर्वे के उस लक्ष्य का हिस्सा है जिसके तहत 2030 तक शिपिंग उद्योग में सीओटू के उत्सर्जन में भारी कमी लाना है.अगले साल जनवरी से, पश्चिमी फ्योर्ड में चलने वाले पर्यटक जहाजों और छोटी फेरी को नए शून्य-उत्सर्जन नियमों का पालन करना होगा.मौजूदा समय में इस इलाके की 199 फेरी में से 40 फीसदी से ज्यादा पूरी तरह इलेक्ट्रिक मोटर से संचालित होती हैं.ये फेरी 1,800 किलोमीटर लंबी तटरेखा वाले इलाके में एक जगह से दूसरी जगह जाने का प्रमुख साधन हैं.देश में बैटरी से चलने वाली सबसे बड़ी फेरी में से एक, साल 2020 से ओस्लो के दो इलाकों के बीच आवाजाही कर रही है.इस फेरी में एक बार में करीब 200 कारों और 600 यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने की क्षमता है.बैटरी से चलने वाला दुनिया का सबसे बड़ा जहाज एक हल्का हाई-स्पीड कैटामारन है, जो मई में लॉन्च होने वाला है.यह जहाज अर्जेंटीना और उरुग्वे के बीच फैली चौड़ी और कीचड़ भरी रियो दे ला प्लाटा नदी को पार करते हुए लगभग 50 किलोमीटर की दूरी तय करेगा.इसमें 2,100 यात्री और 225 कारें ले जाने की क्षमता है.देश के अंदर जल परिवहन के लिए बढ़ रहा इलेक्ट्रिक मोटर का इस्तेमालइलेक्ट्रिक मोटर छोटी दूरी के लिए उपयोगी हैं, लेकिन इनकी मदद से लंबी यात्राएं करना काफी चुनौती भरा है.यही कारण है कि कुछ इलेक्ट्रिक जहाजों में डीजल, लिक्विफाइड नेचुरल गैस (एलएनजी) या बायोडीजल से चलने वाला एक पारंपरिक इंजन भी होता है.हाइब्रिड जहाज सेंट-मालो, फरवरी से हर दिन दो बार इंग्लिश चैनल को पार करता है और 260 किलोमीटर की यात्रा करता है.यह मुख्य रूप से तट पर और बंदरगाह में अपनी बैटरी का इस्तेमाल करता है.इससे उत्सर्जन और ध्वनि प्रदूषण कम होता है.

यात्रा के बाकी हिस्सों के लिए एलएनजी वाली मोटर का इस्तेमाल करता है.हालांकि, इलेक्ट्रिक जहाज अगर रास्ते में बैटरी बदल लें, तो वे ज्यादा लंबी दूरी तक यात्रा कर सकते हैं.दो छोटे इलेक्ट्रिक मालवाहक जहाज नियमित रूप से चीन की सबसे लंबी नदी यांग्त्से पर नानजिंग और शंघाई के यांगशान बंदरगाह के बीच 300 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं.ये जहाज 36 बैटरी कंटेनरों की मदद से अपनी यात्रा पूरी करते हैं.इन बैटरी से जहाज को 57,000 किलोवॉट प्रति घंटे की बिजली मिलती है.जब बैटरी खत्म होने वाली होती है, तो अगले पड़ाव पर उन्हें रिचार्ज की गई बैटरी से बदल दिया जाता है.नीदरलैंड्स के रोटरडाम बंदरगाह पर दो छोटे मालवाहक जहाजों में भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है.यह बैटरी एक्सचेंज सिस्टम आंशिक रूप से यूरोपीय संघ के सहयोग से बनाया गया है और इसमें सिर्फ 15 मिनट लगते हैं.यूरोपीय संघ का लक्ष्य सदी के मध्य तक नीदरलैंड्स, बेल्जियम, फ्रांस और जर्मनी के बीच अंतर्देशीय जलमार्ग शिपिंग से होने वाले उत्सर्जन को काफी हद तक कम करना है.2050 तक सभी उत्सर्जन में कटौती करने का लक्ष्यसमुद्री शिपिंग क्षेत्र दुनिया के सीओ2 उत्सर्जन के लगभग 2.8 फीसदी के लिए जिम्मेदार है.यूरोपीय संघ में यह आंकड़ा और भी ज्यादा है, जहां शिपिंग कुल उत्सर्जन के 3 से 4 प्रतिशत हिस्से के लिए जिम्मेदार है.इलेक्ट्रिक मोटर के इस्तेमाल को बढ़ावा देने से धरती को गर्म करने वाली ग्रीन-हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने में मदद मिल सकती है.साथ ही, स्थानीय स्तर पर भी हवा की गुणवत्ता में काफी सुधार आ सकता है.यह आर्थिक रूप से भी समझदारी भरा फैसला है.अगर लागत के नजरिए से देखा जाए, तो छोटे मार्गों पर बैटरी से चलने वाले जहाज पारंपरिक जहाजों की तुलना में फायदेमंद साबित हो रहे हैं.हेलसिंकी स्थित जहाज इंजन आपूर्तिकर्ता कंपनी वार्टसिला मरीन के अध्यक्ष रोगर होम्स ने कहा कि इलेक्ट्रिक शिपिंग उद्योग का भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है.उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया कि हाइब्रिड और पूरी तरह से इलेक्ट्रिक इंजन की मांग हर साल बढ़ रही है और 2019 से यह चार गुना बढ़ गई है.

पोर्ट के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने वाली लंदन स्थित कंपनी नेटपावर मरीन को भी विकास की संभावना दिखती है.कंपनी के सीईओ स्टेफानो सोमाडोसी ने डीडब्ल्यू को बताया कि “बैटरी तकनीक में नई खोज” और हाइब्रिड सिस्टम का इस्तेमाल बढ़ने से अगले 20 वर्षों में इस उद्योग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक इंजन का एक बड़ा फायदा यह है कि मेथनॉल और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे अन्य जलवायु-अनुकूल विकल्पों की तुलना में वे ज्यादा बेहतर हैं.अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में शिपिंग क्षेत्र से ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में 30 फीसदी की कमी लाना है.2040 तक 80 फीसदी और फिर 2050 तक उत्सर्जन को पूरी तरह खत्म करना है.वर्तमान में, इलेक्ट्रिक जहाज बनाने के मामले में एशिया-प्रशांत क्षेत्र बहुत आगे है.सोमाडोसी को उम्मीद है कि यह इस क्षेत्र में अपना दबदबा बनाए रखेगा.उन्होंने कहा कि यूरोप भी बहुत पीछे नहीं है.इसे आंशिक रूप से यूरोपीय संघ के डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों से बढ़ावा मिला है.इसमें हाल ही में बना एक कानून भी शामिल है, जिसके अनुसार 2030 तक यूरोप के सभी बंदरगाहों को बेहतर बिजली कनेक्शन लगाने होंगे.इससे सभी यात्री जहाज, मालवाहक जहाज और क्रूज जहाज बंदरगाह पर खड़े रहने के दौरान अपने इंजन चलाने के बजाय सिर्फ स्थानीय बिजली का इस्तेमाल कर सकेंगे.बैटरी की मदद से लंबी दूरी की यात्राएं मुश्किलजब लंबी दूरी की यात्रा की बात आती है, तो बैटरी तकनीक फिलहाल पूरी तरह कारगर नहीं है.बिना प्रदूषण वाले इंजन से 15,000 किलोमीटर तक की दूरी तय करना मुमकिन है.जैसे, एक मालवाहक जहाज आराम से न्यूयॉर्क से पुर्तगाल जा सकता है, लेकिन शंघाई से वेनिस (इटली) तक का 30,000 किलोमीटर का सफर बीच में बैटरी बदले बिना अब भी मुश्किल है.लंबे समुद्री रास्तों के लिए, पर्यावरण के अनुकूल जहाजों के इंजन के मामले में बायोडिग्रेडेबल मेथनॉल ईंधन आजकल सबसे पसंदीदा है.डेनमार्क की बड़ी शिपिंग कंपनी मएर्स्क ने 2024 में अपना पहला मेथनॉल से चलने वाला कंटेनर जहाज लॉन्च किया, जिसके ईंधन का कुछ हिस्सा दक्षिणी डेनमार्क में सौर और पवन ऊर्जा से बनाया गया.हालांकि, उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि शिपिंग इंडस्ट्री को जलवायु के अनुकूल बनाने के लिए ऐसे कई और संयंत्रों की जरूरत होगी.

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