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यह डील रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दबाव नीति और भू-राजनीतिक रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। आइए, इस समझौते को विस्तार से समझते हैं।
आज यानी 1 मई को अमेरिका और यूक्रेन ने एक महत्वपूर्ण आर्थिक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस खनिज समझौते को यूएस-यूक्रेन रिकंस्ट्रक्शन इन्वेस्टमेंट फंड के तहत लागू किया जाएगा। समझौते के जरिए अमेरिका को यूक्रेन के दुर्लभ खनिज संसाधनों (रेयर अर्थ मिनरल्स) तक पहुंच मिलेगी, जबकि यूक्रेन को अमेरिका से आर्थिक और पुनर्निर्माण सहायता प्राप्त होगी। यह डील रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दबाव नीति और भू-राजनीतिक रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। आइए, इस समझौते को विस्तार से समझते हैं।
समझौते की पृष्ठभूमि
रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत 2022 में हुई और तब से अमेरिका ने यूक्रेन को अरबों डॉलर की सैन्य और आर्थिक सहायता प्रदान की है। जनवरी 2025 में अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में दूसरी बार सत्ता में लौटे डोनाल्ड ट्रंप ने शुरू से ही यूक्रेन से इस सहायता के बदले आर्थिक रिटर्न की मांग की। ट्रंप का तर्क था कि अमेरिका ने यूक्रेन को युद्ध में समर्थन देने के लिए भारी खर्च किया है, और इसके बदले यूक्रेन को अपने प्राकृतिक संसाधनों, विशेष रूप से दुर्लभ खनिजों, तक पहुंच देनी चाहिए।
यूक्रेन के पास यूरोपीय संघ द्वारा घोषित 34 महत्वपूर्ण खनिजों में से 22 का भंडार है, जिनमें लिथियम, कोबाल्ट, और अन्य रेयर अर्थ मेटल्स शामिल हैं। ये खनिज आधुनिक तकनीकों जैसे इलेक्ट्रिक वाहन, सौर ऊर्जा, और कंप्यूटर चिप्स के लिए आवश्यक हैं। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि यूक्रेन के खनिज भंडार अमेरिका को चीन पर निर्भरता कम करने में मदद कर सकते हैं। चीन वर्तमान में वैश्विक रेयर अर्थ मिनरल्स का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।
हालांकि, इस डील को अंतिम रूप देने में कई बाधाएं आईं। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की शुरू में इस समझौते के लिए अनिच्छुक थे, क्योंकि इसमें यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी शामिल नहीं थी। फरवरी 2025 में जेलेंस्की की वाशिंगटन यात्रा के दौरान ट्रंप और उनके बीच तीखी बहस हुई, जिसके बाद डील अटक गई थी। लेकिन ट्रंप की लगातार दबाव रणनीति और रूस के साथ युद्धविराम की कोशिशों के बीच, यूक्रेन ने आखिरकार समझौते पर हस्ताक्षर करने का फैसला किया।
समझौते की मुख्य बातें
यूएस-यूक्रेन रिकंस्ट्रक्शन इन्वेस्टमेंट फंड:
इस फंड का उद्देश्य रूस के हमलों से तबाह हुए यूक्रेन के बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण में निवेश करना है। फंड का संचालन अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट और इंटरनेशनल डिवेलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (DFC) द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा। अमेरिका इस फंड में निवेश करेगा, जिसके बदले उसे यूक्रेन के खनिज संसाधनों से राजस्व प्राप्त होगा।
दुर्लभ खनिजों तक पहुंच:
यूक्रेन अमेरिका को अपने दुर्लभ खनिज भंडारों, जैसे लिथियम, कोबाल्ट, और ग्रेफाइट, के दोहन की अनुमति देगा। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, यूक्रेन में दुनिया की खनिज संपदा का लगभग 5% हिस्सा मौजूद है, जिसमें डोनेट्स्क और लुहान्स्क जैसे क्षेत्र शामिल हैं, हालांकि इनमें से कुछ क्षेत्रों पर रूस का कब्जा है। इस डील से अमेरिका को उच्च तकनीकी क्षेत्रों के लिए आवश्यक कच्चे माल की आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
सुरक्षा गारंटी का अभाव:
समझौते में यूक्रेन के लिए कोई स्पष्ट सुरक्षा गारंटी शामिल नहीं है, जो जेलेंस्की की प्रमुख मांग थी। ट्रंप प्रशासन ने सैन्य सहायता के बजाय आर्थिक साझेदारी पर जोर दिया है, जिससे यूक्रेन के लिए भविष्य में सुरक्षा संबंधी अनिश्चितता बनी रह सकती है।
डील की अनुमानित कीमत:
शुरुआत में ट्रंप ने 500 बिलियन डॉलर की डील की मांग की थी, जिसे बाद में 350 बिलियन डॉलर तक कम किया गया। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने इसे “ट्रिलियन-डॉलर डील” भी बताया, हालांकि इसका सटीक मूल्य स्पष्ट नहीं है। यह डील यूक्रेन के खनिज संसाधनों के साथ-साथ सैन्य उपकरण और अन्य संसाधनों को भी शामिल कर सकती है।
किसे क्या मिलेगा?
अमेरिका को लाभ:
खनिज संसाधनों तक पहुंच: अमेरिका को यूक्रेन के दुर्लभ खनिजों का उपयोग करने का अधिकार मिलेगा, जो इलेक्ट्रॉनिक्स, नवीकरणीय ऊर्जा, और रक्षा उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह डील अमेरिका को चीन पर रेयर अर्थ मिनरल्स की निर्भरता कम करने में मदद करेगी।
आर्थिक और भू-राजनीतिक लाभ: यूक्रेन के पुनर्निर्माण में निवेश करके अमेरिका क्षेत्र में अपनी आर्थिक उपस्थिति को मजबूत करेगा। ट्रंप प्रशासन इसे रूस को एक मजबूत संदेश के रूप में पेश कर रहा है कि अमेरिका एक स्वतंत्र और समृद्ध यूक्रेन का समर्थन करता है।
युद्धविराम की संभावना: ट्रंप का दावा है कि यह डील रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने की दिशा में पहला कदम हो सकती है, हालांकि इस दावे पर विशेषज्ञों में मतभेद हैं।
यूक्रेन को लाभ:
पुनर्निर्माण के लिए धन: यूक्रेन को अपने बुनियादी ढांचे, जैसे सड़कें, बिजली संयंत्र, और स्कूलों, के पुनर्निर्माण के लिए अमेरिकी निवेश मिलेगा। यह आर्थिक सहायता युद्ध से तबाह अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद कर सकती है।
आर्थिक साझेदारी: खनिज संसाधनों के संयुक्त विकास से यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक लाभ हो सकता है, बशर्ते समझौते की शर्तें निष्पक्ष हों।
अंतरराष्ट्रीय समर्थन: यह डील यूक्रेन को वैश्विक मंच पर अमेरिका के साथ मजबूत साझेदारी का संदेश देती है, जो रूस के खिलाफ उसकी स्थिति को मजबूत कर सकती है।
यूक्रेन की चुनौतियां:
सुरक्षा अनिश्चितता: समझौते में सुरक्षा गारंटी का अभाव यूक्रेन के लिए जोखिम भरा हो सकता है, खासकर जब रूस के साथ युद्ध जारी है।
खनिज संसाधनों का नियंत्रण: कुछ आलोचकों का मानना है कि यह डील यूक्रेन के प्राकृतिक संसाधनों पर अमेरिकी नियंत्रण को बढ़ावा दे सकती है, जिससे यूक्रेन की संप्रभुता प्रभावित हो सकती है।
खनिज भंडार पर सवाल: अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार, यूक्रेन में दुर्लभ खनिजों का कोई बड़ा प्रमाणित भंडार नहीं है, जिससे डील की वास्तविक उपयोगिता पर सवाल उठ रहे हैं।
विवाद और आलोचनाएं
ट्रंप पर आरोप है कि उन्होंने यूक्रेन पर अनुचित दबाव डाला, खासकर जब उन्होंने सैन्य सहायता को खनिज डील से जोड़ा। फरवरी 2025 में ओवल ऑफिस की एक विवादास्पद बैठक में ट्रंप और उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने जेलेंस्की को कथित तौर पर अपमानित किया, जिसके बाद जेलेंस्की ने अपनी यात्रा रद्द कर दी थी।
रूस का जवाबी प्रस्ताव:
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दावा किया कि रूस के पास यूक्रेन से बड़ा खनिज भंडार है और वह अमेरिकी कंपनियों के साथ साझेदारी के लिए तैयार है। यह प्रस्ताव डील को जटिल बना सकता है।
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