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अदानी समूह के हाथ से कैसे निकला कीनिया में अहम सौदा, ऐसा क्या हुआ कि बिगड़ गई बात

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Source :- BBC INDIA

गौतम अदानी

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कीनिया में सरकार और निजी कंपनियों के बीच सौदों में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए अभियान चला रहे ग्रुप, एक बिज़नेस स्टूडेंट को नायक के तौर पर सम्मानित कर रहे हैं. इस स्टूडेंट का नाम है नेल्सन अमेन्या.

कीनिया का हाल का इतिहास ऐसे बड़े समझौतों की कहानियों से भरा पड़ा है जिनमें भ्रष्टाचार हुआ है. भ्रष्टाचार रोकने के लिए मौजूद क़ानून के बाद भी लोगों को संदेह होता है कि सौदों में भ्रष्टाचार अभी भी जारी है.

30 साल के नेल्सन अमेन्या फ्रांस में एमबीए की पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने इस साल जुलाई में सोशल मीडिया पर कीनिया और अदानी समूह के बीच प्रस्तावित समझौते के बारे में कुछ जानकारी लीक की थी.

इसने देश और क्षेत्र के सबसे बड़े एयरपोर्ट जोमो केन्याटा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेकेआईए) के प्रबंधन की चिंता बढ़ा दी. लंबे समय से लोगों को इस एयरपोर्ट के आधुनिकीकरण का इंतज़ार है.

लाल रेखा
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प्रस्तावित समझौते के बारे में जानकारी लीक करके के बाद से नेल्सन की पहचान भ्रष्टाचार विरोधी एक्टिविस्ट के रूप में बढ़ रही है.

नेल्सन ने बीबीसी से कहा, “पहली बार (दस्तावेज़ देखने पर) मुझे लगा कि ये सिर्फ एक आम सरकारी सौदा था. इसकी गंभीरता या महत्व के बारे में मैं समझ नहीं पाया.”

दस्तावेज़ों के मुताबिक, जेकेआईए के आधुनिकीकरण और इसका संचालन 30 साल के लिए अदानी को ठेके पर देने के लिए दो अरब डॉलर के समझौते का प्रस्ताव रखा गया था.

दस्तावेज़ पढ़ते हुए नेल्सन को लगा कि अगर ये समझौता आगे बढ़ाया गया तो यह “कीनिया की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाने वाला साबित हो सकता है”, इसका सारा लाभ भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनी को चला जाएगा.

समझौते के बारे में उन्होंने जो पढ़ा उससे उन्हें ये सौदा सही नहीं लगा क्योंकि इसमें खर्च का अधिक हिस्सा कीनिया को देना होगा, लेकिन उसे इसका उतना वित्तीय लाभ नहीं मिल सकेगा.

नेल्सन ने बताया कि इस बात के उनके पास उचित कारण थे कि वो इन दस्तावेज़ों को वैध मानें. उन्होंने कहा, “जिन लोगों ने मुझे ये दस्तावेज़ दिए वो वैध थे, सरकारी विभागों से जुड़े हुए थे.”

अदानी समूह इसराइल, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, तंज़ानिया, ऑस्ट्रेलिया और यूनान समेत दुनियाभर के देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर, खनन और एनर्जी के प्रोजेक्ट्स में शामिल है.

अदानी समूह के संस्थापक गौतम अदानी को भारतीय अर्थव्यवस्था के बड़े चेहरे के रूप में माना जाता है. उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क़रीबी भी बताया जाता है.

नेल्सन ने कहा कि दस्तावेज़ पढ़ने पर ये जानकारी सामने आई कि अगर इस सौदे में होने वाले निवेश से अदानी समूह फायदा नहीं कर पाया तो इसका भुगतान कीनिया की सरकार को करना होगा.

वो आरोप लगाता हैं, “राष्ट्रपति, कीनिया एयरपोर्ट अथॉरिटी और मंत्री; सभी ने लोगों का विश्वास तोड़ा था. सभी ने लोगों को धोखा दिया था.”

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‘मैं अपनी जान जोखिम में डाल रहा था’

नेल्सन अमेन्या

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सबूत हाथ में होने के बाद भी नेल्सन अमेन्या ये सोचने के लिए मजबूर थे कि वो आगे क्या करें.

वो खुद भी ख़तरे में थे. हालांकि उनके लिए कीनिया की बजाय फ्रांस में रहना फायदेमंद था, जहां भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जाता था. यहां कुछ कार्यकर्ताओं की जान भी गई थी.

उन्होंने बीबीसी से कहा कहा, “मैं थोड़ा डरा हुआ था. मुझे नहीं पता था कि क्या होने वाला है. मैं अपने करियर को दांव पर लगा रहा था और अपनी जान जोखिम में डाल रहा था. मैं खुद से सवाल कर रहा था कि ऐसा जोखिम क्यों लूं?”

हालांकि उन्होंने कहा कि आख़िर में उन्हें लगा कि चुप रहना कोई विकल्प नहीं है. वो कहते हैं, “आपको पता है, केवल कायर ही लंबे समय तक जिंदा रहते हैं.”

कई सप्ताह तक दस्तावेज़ों को अच्छे से पढ़ने के बाद नेल्सन अमेन्या ने जुलाई में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसे लीक कर दिया. इसके तुरंत बाद कीनिया में हंगामा खड़ा हो गया.

जेकेआईए एयरपोर्ट के कर्मचारियों ने इस सौदे को रद्द करने की मांग करते हुए हड़ताल शुरू कर दी.

नेल्सन अमेन्या ने कहा, “मुझे महसूस हुआ कि ये मेरे देश के लिए मेरा कर्तव्य है. भले ही मैं देश से दूर हूँ, लेकिन फिर भी मेरे देश के प्रति मेरा कर्तव्य है. मैं एक बेहतर कीनिया चाहता हूँ. मैं अपने देश को विकसित देखना चाहता हूँ, यहां उद्योग होने चाहिए और भ्रष्टाचार का अंत होना चाहिए.”

उन्हें इस बात की चिंता थी कि एयरपोर्ट को लेकर हो रहा समझौता इस बात का पूर्वाभास था कि आगे क्या कुछ हो सकता है.

नेल्सन का कहना है कि बात केवल समझौते की असामान्य शर्तों और पारदर्शिता की कमी की नहीं थी. उनका आरोप है कि ऐसा दिखता है कि कीनिया के क़ानूनों को भी व्यवस्थित रूप से नजरअंदाज किया गया.

वो कहते हैं, “अधिकारियों ने इस कंपनी के लिए कभी उचित कदम नहीं उठाए और उचित प्रक्रिया का पालन भी नहीं किया.”

उनका आरोप है कि कुछ सरकारी अधिकारी क़ानूनी ज़रूरतों को दरकिनार करना चाहते थे, जिसमें आम लोगों से सलाह लेना यानी पब्लिक कंसल्टेशन भी शामिल है. ये प्रक्रियाएं इसलिए बनाई गई थीं कि सरकार टैक्सपेयर के पैसों को ग़लत तरीके़ से खर्च न कर सके.

अप्रैल में प्रस्तावित सौदे पर कीनिया एयरपोर्ट अथॉरिटी की एक रिपोर्ट आई, जिसमें ये सामने आया कि उनकी ‘स्टेकहोल्डर्स’ से बात करने की कोई योजना नहीं है.

नेल्सन अमेन्या ने कहा, “ये अप्रैल महीने की बात थी, जुलाई में जब मैं सोशल मीडिया पर दस्तावेज़ लीक कर रहा था, उस वक्त भी उन्होंने इस मामले में आम लोगों को हिस्सा नहीं लेने दिया था, यानी कोई पब्लिक पार्टिसिपेशन नहीं था. ये सौदा काफी गुप्त तरीक़े से हो रहा था और वो महीने भर बाद इस पर हस्ताक्षर करने जा रहे थे.”

“जब मैंने इस समझौते को लेकर दस्तावेज़ पेश किए तो जल्दबाज़ी में आकर सरकार ने सार्वजनिक भागीदारी का दिखावा किया. उन्होंने कीनिया एयरपोर्ट अथॉरिटी के कर्मचारियों को बुलाया और ‘स्टेकहोल्डर्स’ के साथ बैठक करना शुरू किया.”

जोमो केन्याटा इंटरनेशनल एयरपोर्ट

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अदानी समूह ने क्या कहा?

कीनिया में कई अधिकारियों और सरकारी विभागों ने पूरी प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के आरोपों से इनकार किया और इसके बाद अदानी समूह के साथ बिजली लाइनों के निर्माण से जुड़ी एक अन्य सौदे पर हस्ताक्षर करने के लिए बढ़े. ये सौदा भी लाखों डॉलर का था.

अदानी समूह ने नेल्सन अमेन्या के दावे को निराधार और दुर्भावनापूर्ण बताया.

अदानी समूह के एक प्रवक्ता ने बीबीसी से कहा, “कीनिया के सार्वजनिक निजी भागीदारी नियमों का पालन करते हुए प्रस्ताव रखा गया था. इसका उद्देश्य वहां एक विश्व स्तरीय एयरपोर्ट बनाना था और इसके ज़रिए वहां कई नई नौकरियां पैदा करके वहां की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाना था.”

अदानी समूह ने कहा कि किसी भी कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर नहीं किए गए क्योंकि “बाध्यकारी समझौते पर चर्चा आगे नहीं बढ़ी.”

अदानी समूह ने अपने बयान में कहा कि एनर्जी सेक्टर का उसका समझौता पूरी तरह पारदर्शी था और कंपनी उस पर लगे सभी आरोपों से इनकार करती है. कंपनी जो भी प्रोजक्ट शुरू करती हैं वो संबंधित देश के क़ानून के अनुसार ही होता है.”

लेकिन ऐसा नहीं है कि नेल्सन अमेन्या की वजह से ही सरकार का मन बदला.

वहीं अदानी समूह ने अमेरिकी अभियोजकों के आरोपों का खंडन किया और उन्हें “बेबुनियाद” बताया.

‘मेरी आँख में आंसू थे’

कीनिया के राष्ट्रपति

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बीते महीने कीनिया के राष्ट्रपति विलियम रुटो ने संसद में अदानी समूह के साथ होने वाले दोनों समझौतों को रद्द करने का ऐलान किया.

विलियम रुटो ने संसद में दिए अपने भाषण में कहा, “पूख्ता सबूत या विश्वसनीय जानकारी मौजूद होने पर मैं निर्णायक कार्रवाई करने में कोई संकोच नहीं करूंगा.”

उनके इस बयान का लोगों ने तालियों से स्वागत किया और जश्न मनाया.

विलियम रुटो ने यह फ़ैसला लेने में मदद करने का श्रेय जांच एजेंसियों और सहयोगी देशों को दिया.

नेल्सन अमेन्या ने कहा, “जिस वक्त राष्ट्रपति ने ये घोषणा की, मैं क्लास था. मुझे इस पर यकीन नहीं हो रहा था. मेरी आँखों में आंसू थे. मैं बहुत खुश था.”

नेल्सन कहते हैं कि वो खुद को नायक के रूप में नहीं देखते, हालांकि उनके लिए भारत सहित हर जगह से समर्थन भरे संदेश आए.

क्लास ख़त्म होने के 40 मिनट बाद उन्होंने ट्वीट किया, “अलविदा अदानी.” ये ट्वीट अब मशहूर हो चुका है.

वो कहते हैं, “यह ख़ास मौक़ा था. मैंने जो कुछ भी किया आख़िरकार उसका फल मिला.”

हालांकि वो महसूस करते हैं कि ये जीत महीनों के व्यक्तिगत संघर्ष और दबाव झेलने के बाद आई. एयरपोर्ट से जुड़े सौदों को सार्वजनिक करने के तुरंत बाद नेल्सन के ख़िलाफ़ अदानी समूह और कीनिया के एक नेता ने मानहानि का मुक़दमा किया.

नेल्सन बताते हैं, “सरकार में काम कर रहे कुछ लोग मेरे पास आ रहे थे. वो मुझे मुक़दमा न लड़ने के लिए पैसे भी देने के लिए तैयार थे. वो कह रहे थे कि पैसे लेकर सरकार के साथ अपनी इस लड़ाई को रोक दो.”

नेल्सन अमेन्या

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पहले की बातों को याद करते हुए नेल्सन ने कहा, “हार मानना मेरे जीवन की सबसे बड़ी ग़लती होती. ये कीनिया के लोगों के साथ विश्वासघात होता.”

सौदे को रद्द करने के बाद भी विलियम रुटो सवाल करते हैं कि कीनिया के लोगों ने क्यों इसका और उनके अन्य कई प्रोजेक्ट्स का विरोध किया. वो कहते हैं कि वह एयरपोर्ट के आधुनिकीकरण का कोई रास्ता खोज लेंगे.

विलियम रुटो ने दिसंबर में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में सवाल किया, “मैंने देखा कि एयरपोर्ट को बेहतर बनाने से रोकने वाले को नायक कहा जा रहा है. नायक? जब आप अपने देश में एयरपोर्ट के निर्माण को रोकते हैं तो आपको क्या हासिल होता है?”

“आपको नहीं पता कि इसे कैसे बनाया जाएगा. जो लोग विरोध कर रहे हैं, उन्होंने कभी एयरपोर्ट के अंदर कदम भी नहीं रखा है. आप बस विरोध करना चाहते हैं.”

वहीं नेल्सन अमेन्या को अभी भी मानहानि के मुकदमे का सामन करना है. वो अपनी क़ानूनी लड़ाई के लिए पैसे जमा करना चाहते हैं और इसके लिए फंडरेजिंग कर रहे हैं. वो कहते हैं कि कीनिया में उनका भविष्य अनिश्चित है.

नेल्सन ने कहा, “मुझे विश्वसनीय इंटेलिजेंस एजेंसियों से धमकियां मिली और कीनिया में मौजूद कई लोगों ने मुझे चेतावनी दी कि मैं वापस न लौटूं. जाहिर है कि जो मैंने किया उससे कई लोग गुस्से में हैं.”

नेल्सन कहते हैं कि इन सबके लिए भारी कीमत चुकानी पड़ती है, और ऐसा करने के लिए वो तैयार हैं.

वो कहते हैं, “हमें बचाने के लिए किसी का इंतजार करने की ज़रूरत नहीं है.”

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SOURCE : BBC NEWS